Uttarakhand Waqf Board: वक्फ बोर्ड से जुड़े दो संशोधन बिल को लेकर जेपीसी में चर्चा हो रही है. इस बीच जेपीसी को उत्तराखंड वक्फ बोर्ड से महत्वपूर्ण समर्थन मिला. वहीं, पंजाब वक्फ बोर्ड, हरियाणा वक्फ बोर्ड और उत्तराखंड वक्फ बोर्ड सहित कई राज्य वक्फ बोर्डों ने जेपीसी के समक्ष अपने विचार और सुझाव देने के लिए बैठक में हिस्सा लिया. 


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उत्तराखंड वक्फ बोर्ड ने जेपीसी को दिया अपना समर्थन
जराए के मुताबिक, उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के प्रतिनिधियों ने समिति के समक्ष अपनी प्रस्तुति के दौरान एक अनूठा अनुरोध किया. उन्होंने कहा कि जब कोई सैनिक देश के लिए लड़ता है, तो वह हिंदू, मुस्लिम या किसी दूसरे धर्म के रूप में नहीं, बल्कि एक देशभक्त के रूप में ऐसा करता है. इस भावना से, उन्होंने वक्फ संपत्तियों से कुछ लाभ सैनिकों या उनके परिवारों को आवंटित करने के लिए एक कानूनी प्रावधान का सुझाव दिया. इस प्रस्ताव का विपक्षी दलों के कई सांसदों ने विरोध किया. 


विपक्षी सांसदों ने चिंता जताते हुए कहा कि हिंदू या दूसरे धार्मिक संदर्भों में कोई तुलनीय प्रावधान नहीं है. अपना पक्ष रखने के दौरान, बोर्ड ने विधेयक का पुरजोर समर्थन किया, विशेष रूप से पारदर्शिता और महिलाओं को शामिल करने पर इसके फोकस को उजागर किया. उत्तराखंड परिषद में पहले से ही दो महिला प्रतिनिधि हैं. विवादित संपत्तियों के संबंध में बोर्ड ने सिफारिश की कि जेपीसी में गहन निरीक्षण और जहां जरूरी हो, सीबीआई जांच के प्रावधान शामिल हों. 


उत्तराखंड वक्फ बोर्ड से नाराज हुए विपक्षी सांसद
इस रुख पर कुछ विपक्षी सांसदों की तरफ से तीखी प्रतिक्रियाएं आईं. इससे पहले दिन में, बीजेपी और विपक्षी सांसदों के बीच बहस हुई है. सूत्रों ने संकेत दिया कि विपक्षी सांसदों ने आरोप लगाया कि एमसीडी आयुक्त और दिल्ली वक्फ बोर्ड के प्रशासक अश्विनी कुमार ने कथित तौर पर मुख्यमंत्री की मंजूरी के बिना वक्फ बोर्ड की मूल रिपोर्ट में काफी बदलाव किया था, जिससे इसकी वैधता पर सवाल उठ रहा है.


असदुद्दीन ओवैसी ने दिया ये सुझाव
इस बीच, जराए का कहना है कि दिल्ली वक्फ परिषद के प्रतिनिधियों ने अपनी स्वायत्तता पर जोर दिया सीनियर सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने सुझाव दिया कि अध्यक्ष दिल्ली वक्फ बोर्ड की जेपीसी के समक्ष प्रस्तुति से जुड़े किसी भी संभावित कानूनी मुद्दे पर लोकसभा महासचिव की राय लें. यह मुद्दा तब और प्रमुख हो गया जब दिल्ली के मुख्यमंत्री ने समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल को पत्र लिखकर दिल्ली वक्फ बोर्ड को जारी किए गए समन का विरोध किया.


विपक्षी सांसदों ने की बगावत
जराए ने कहा कि कई विपक्षी सदस्यों ने आगमन पर उपस्थिति रजिस्टर पर हस्ताक्षर नहीं किए, कुछ ने शुरुआती बहस के बाद अपनी उपस्थिति रद्द कर दी, सिर्फ आगे की चर्चा के बाद फिर से हस्ताक्षर किए. लोकसभा के महासचिव के परामर्श के बाद संसद की संयुक्त समिति ने दिल्ली सरकार की मंजूरी के बिना दिल्ली वक्फ बोर्ड के विचारों और सुझावों को सुनने पर सहमति व्यक्त की है. दिल्ली वक्फ बोर्ड कल समिति के समक्ष अपना मौखिक साक्ष्य दर्ज करेगा.