Muslim women on Designer Burqa: ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने मुस्लिम महिलाओं को माथे पर अल्लाह और माशाअल्लाह लिखे हिजाब न पहनने की वकालत की है. इसके बाद से ही इस मुद्दे पर वार-पलटवार का दौर जारी है. इस मुद्दे पर इस्लामिक स्कॉलर में मतभेद हैं. इस बीच महिलाओं ने इस मामले पर तीखी प्रतिक्रिया दी है.


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मौलाना के बयान से इत्तेफाक रखती हैं शिया उलेमा काउंसिल महिला शहर काजी डॉ. हीना जहीर
कानपुर में रहने वाली शिया उलेमा काउंसिल महिला शहर काजी डॉ. हीना जहीर ने मौलाना के बयान से इत्तेफाक रखती है. उन्होंने मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी के समर्थन में बयान दिया है. काजी डॉ. हीना जहीर ने कहा कि मैं मुफ्ती शहाबुद्दीन का समर्थन करती हूं. उन्होंने कहा कि सूरह नूर में बुर्का, चादर या किसी और चीज का जिक्र नहीं है. महिलाओं और पुरुषों को अपनी खूबसूरती को छिपाकर रखना चाहिए. किसी भी हालत में उनके शरीर का कोई अंग उजागर नहीं होना चाहिए.


डिजाइनर बुर्का से करें परहेज
उन्होंने आगे कहा कि आजकल जो बुर्के चलन में हैं, वे डिजाइनर हैं. तरह-तरह के आउटलेट चलन में हैं, जिसमें शरीर का आकार उजागर होता है. फिर बुर्का कहां है? इस्लाम और कुरान कह रहे हैं कि पर्दा छिपाना चाहिए. यहां पर पर्दा छिपाया नहीं जा रहा है बल्कि पूरी तरह से उजागर किया जा रहा है. इस तरह के बुर्के पहनना बिल्कुल भी इस्लामी नहीं है. यह पर्दा बिल्कुल भी स्वीकार नहीं किया जाएगा. अगर आप हिजाब पहनती हैं तो कुरान के हिसाब से करें. ऐसा हिजाब न पहनें जिससे सामने वाले का ध्यान आकर्षित हो.


महिला ने मौलाना पर किया हमला
वहीं, एक दूसरी महिला ने कहा कि उन्हें डिजाइनर बुर्का पसंद है और वह सड़े-गले बुर्के की बजाय डिजाइनर बुर्का पहनना पसंद करेंगी.  एडवोकेट फराह फैज ने कहा कि मौलाना महिलाओं को निशाना बनाते रहे हैं और जो भी फतवा जारी करते हैं या महिलाओं के बारे में जो भी कहते हैं, उसमें यही कहते हैं कि यह महिला की अपनी मर्जी है कि वह किस तरह के कपड़े पहने. मौलाना कभी पुरुषों के बारे में ऐसा कुछ नहीं कहते कि उन्हें सिर ढक कर रखना चाहिए या आंखें नीचे करके चलना चाहिए.


डिजाइनर बुर्का पहनने में नहीं है कोई दिक्कत
उन्होंने कहा कि मौलाना अक्सर महिलाओं पर टिप्पणी करते हैं. डिजाइनर बुर्का पहनने में कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन उस पर कोई धार्मिक नाम या धर्म से जुड़ी कोई बात नहीं लिखी होनी चाहिए क्योंकि इससे उसका अपमान होता है. साथ ही बुर्का इस तरह फिट नहीं होना चाहिए कि उससे शरीर छिप जाए, क्योंकि बुर्के का मकसद शरीर को ढकना होता है. 


एडवोकेट शहजाद बेगम ने क्या कहा?
वहीं, एडवोकेट शहजाद बेगम का कहना है कि बुर्का पहना जा सकता है. उस पर कढ़ाई या अलग-अलग रंग होने में कोई बुराई नहीं है, लेकिन बुर्का फिट नहीं होना चाहिए और न ही उस पर कोई धार्मिक बात लिखी होनी चाहिए. अगर ऐसा है तो बुर्का पहनने का उद्देश्य ही खत्म हो जाता है.


बुर्के का न करें गलत इस्तेमाल
उन्होंने कहा कि वह खुद बुर्का नहीं पहनती हैं, लेकिन यह आंखों के लिए पर्दा है. अगर बुर्के पर माशाल्लाह या कुछ भी धार्मिक लिखा है तो बुर्का धुलवाया जाएगा या फिर उसे ड्राईक्लीन करवाया जा सकता है. ऐसे में यह धार्मिक शब्द की अवमानना ​​होगी और इससे विवाद भी बढ़ सकता है. इसलिए बुर्के पर ये शब्द लिखना गलत है.


क्या है पूरा मामला
दरअसल, मार्केट में नए-नए डिजाइन के बुर्के आ रहे हैं. इस बदलते दौर में महिलाओं को डिजाइनर बुर्के बहुत पसंद आ रहे हैं. अब इस मामले को लेकर बरेली में ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी बड़ा बयान दिया. उन्होंने कहा कि आजकल बाजार में जो पर्दे उपलब्ध हैं, उनमें से कुछ पर "माशा अल्लाह" लिखा हुआ है, कुछ पर लड़की का नाम लिखा हुआ है, कुछ पर कोई प्रमुख डिजाइन है जिसके कारण पुरुष महिलाओं की ओर और भी ज्यादा आकर्षित होते हैं जो पर्दे के उद्देश्य के बिल्कुल खिलाफ है, ऐसा पर्दा सवाब नहीं बल्कि पाप है, इसलिए मैं मुस्लिम महिलाओं से गुजारिश करता हूं कि वे ऐसे पर्दे और हिजाब से बचें और उनका इस्तेमाल न करें.