What is Wazu: इस्लाम के पांच सुतून हैं, तौहीद, रोजा, नमाज, हज और जकात. इन पांच सुतून में से नमाज भी एक सुतून है. हर मुसलमान पर दिन में पांच वक्त की नमाज फर्ज की गई है. नमाज से पहले वजू करना बहुत जरूरी है. वजू करने से नमाज में दिल लगता है. विनम्रता और आजिजी में इजाफा होता है. शैतान का हमला कम से कम होता है.


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क्या है वजू और इसके फर्ज?


अपने हाथ, मुंह और पैरों को खास तरह से सिलसिलेवार तरीके से धोने की प्रक्रिया को वजू कहा जाता है. इसमें 6 फर्ज हैं. 


1. नाक और मुंह समेत चेहरे को अच्छी तरह से धोना. 
2. कोहनी समेत दोनों हाथ धोना. 
3. सिर का मसह करना. 
4. टखनों समेत दोनों पैर धोना.
5. वजू के अंगों के बीच तर्तीब (क्रम) रखना.
6. उन जगहों को बिना गैप किए लगातार धोना.


वजू में सुन्तें


1. मिस्वाक करना. यह कुल्ली करते वक्त करना होता है.


2. वुज़ू के शुरू में चेहरा धोने से पहले दोनों हथेलियों को तीन बार धोना.
3. चेहरा धोने से पहले कुल्ली करने और नाक में पानी चढ़ाना.
4. घनी दाढ़ी में अंदर तक और दोनों हाथों, दोनों पैरों की उंगलियों के बीच पानी पहुंचाना.
5. दाहिने हाथ और दाहिने पैर से शुरूआत करना.
6. चेहरा, हाथ और पैर को एक से ज्यादा बार या तीन बार धोना.


वजू पर हदीस


वजू के बारे में हदीस में आता है. कि "अब्दुल्लाह इब्ने उमर र. नबी स. से रिवायत करते हैं कि जिबरील अ. ने आप स. से पूछा कि इस्लाम क्या है? आप स. ने जवाब दिया: इस्लाम यह है कि तुम अल्लाह की तौहीद और मोहम्मद स. के अल्लाह के पैगंबर होने की गवाही दो, नमाज कायम करो, जकात दो, हज और उमरा करो, नहाने की जरूरत पड़ जाए तो नहाओ, ठीक ढंग से वुजू करो और रमजान के रोजे रखो. जिबरील अ. ने कहा: अगर मैं ये सब कर लूं तो 'मुस्लिम' हो जाऊंगा? आप स. ने फरमाया हां." (हदीस: अल-मुंजिरी)


कुरान में वजू का जिक्र


वजू के बारे में कुरान में कहा गया है कि "ऐ ईमान लानेवालों! जब तुम नमाज़ के लिए उठो, तो अपने चेहरों को और अपने हाथों को कोहनियों समेत धो लिया करो और अपने सिरों का मसह करो और अपने पैरों को टखनों समेत धो लो." (सूरतुल मायदाः 6)


सोर्स- हदीस प्रभा. लेखक- मौलाना जलील अहमद नदवी