SC on Maulana Kalim Siddiqui: सुप्रीम कोर्ट ने यूपी में धर्मांतरण रैकेट चलाने के मुल्जिम मौलाना कलीम सिद्दीकी की याचिका पर सुनावाई से इनकार कर दिया है. दरअसल, मौलाना ने याचिका दायर कर अपने भतीजे की बरसी में जाने के लिए उत्तर प्रदेश में दाखिल होने की इजाजत मांगी थी.


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कोर्ट ने लगाई फटकार
न्यायमूर्ति एस.सी. शर्मा की अध्यक्षता वाली अवकाश पीठ ने कहा, "मौत पिछले साल हुई. परिवार में और सदस्य भी हैं. आपको तारीख के बारे में पहले से पता था. आप (सुप्रीम कोर्ट की) इसी पीठ के समक्ष पहले भी आवेदन कर सकते थे कि आपको फलां-फलां तारीख को जाना है. आवेदन (सुनवाई के लिए) अब आ रहा है जब रस्में पूरी हो चुकी हैं." पीठ में न्यायमूर्ति पी.वी. वराले भी शामिल थे.


याचिका वापस ली
अवकाश पीठ इस बात से अप्रभावित दिखी कि परिवार के सबसे बुजुर्ग सदस्य सिद्दीकी पिछले साल भतीजे के जनाजे में शामिल नहीं हुए थे. याचिका पर सुनवाई की कोर्ट की अनिच्छा को देखते हुए सिद्दीकी के अधिवक्ता ने याचिका वापस लेने की इजाजत मांगी. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने इसकी इजाजत देते हुए मामले को खारिज कर दिया.


पिछले साल जनाजे में शामिल होने की दी थी इजाजत
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल अगस्त में सिद्दीकी को उनके भाई के जनाजे में शामिल होने के लिए उत्तर प्रदेश के उनके पैतृक गांव में जाने की इजाजत दे दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि मौलवी अपने भाई की जनाजे के अलावा किसी राजनीतिक या सामाजिक कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे और वह कोई सार्वजनिक भाषण नहीं करेंगे. सिद्दीकी को दी गई जमानत की शर्तों में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अदालती सुनवाई के अलावा किसी और उद्देश्य से उनके उत्तर प्रदेश की सीमा में दाखिल पर रोक लगा दी है.


100 से ज्यादा लोगों के धर्मांतरण का है इल्जाम
पिछले साल अप्रैल में हाईकोर्ट के जस्टिस अताउर रहमान मसूदी और सरोज यादव की खंडपीठ ने सिद्दीकी को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया था. कलीम सिद्दीकी पर 100 से ज्यादा लोगों के धर्मांतरण के इल्जाम हैं. उन्हें यूपी एटीएस ने मेरठ जिले से गिरफ्तार किया गया था. हाईकोर्ट ने इस आधार पर उनकी जमानत मंजूर की थी कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सह अभियुक्त को जमानत दे दी थी. उत्तर प्रदेश एटीएस ने दावा किया था कि वह मुल्क में सबसे बड़ा धर्मांतरण सिंडिकेट चला रहे थे और उनके ट्रस्ट को हवाला के जरिये पैसा मिल रहा था.