उमर खालिद के वकील ने कोर्ट से क्यों पूछा, `व्हाट्सऐप पर मैसेज भेजना आतंकवादी कृत्य है?`, जानें पूरा मामला
New Delhi: खालिद 2020 में उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों से जुड़ी कथित साजिश में एक मुल्जिम है. उसके खिलाफ UAPA के तहत मामला दर्ज किया गया था. जिसके बाद वह जेल में बंद हैं. इस बीच उमर खालिद के वकील ने कोर्ट से क्यों पूछा कि क्या व्हाट्सऐप पर मैसेज भेजना आपराधिक या आतंकवादी कृत्य है. जानें पूरा मामला
New Delhi: JNU के पूर्व छात्र उमर खालिद के वकील ने दिल्ली पुलिस के तर्क का खंडन करते हुए 24 अप्रैल को कोर्ट से पूछा कि क्या व्हाट्सऐप पर मैसेज भेजना आपराधिक या आतंकवादी कृत्य है. दरअसल, दिल्ली पुलिस ने कहा था कि खालिद जमानत याचिका पर सुनवाई को प्रभावित करने के लिए सोशल मीडिया पर विमर्श गढ़ रहा है. खालिद 2020 में उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों से जुड़ी कथित साजिश में एक मुल्जिम है. उसके खिलाफ UAPA के तहत मामला दर्ज किया गया था.
उमर खालिद के वकील ने क्या कहा?
अतिरिक्त सत्र जस्टिस समीर बाजपेयी विशेष अदालत के समक्ष प्रस्तुत खालिद की दूसरी जमानत याचिका पर सुनवाई कर रहे हैं. खालिद की तरफ से पेश सीनियर अधिवक्ता त्रिदीप पाइस ने कहा, "विशेष लोक अभियोजक (एसपीपी) का कहना है कि मैंने माहौल बनाया है. क्या (व्हाट्सएप पर) मैसेज साझा करना एक आपराधिक या आतंकवादी कृत्य है? क्या किसी को जेल में रखने के उनकी (अभियोजन पक्ष के) कोशिशों के बेतुकेपन को कोर्ट देख पा रही है? क्या मेरे लिए यह एक मैसेज आगे भेजना गलत है, जिसमें कहा गया है कि किसी को गलत तरीके से कैद में रखा गया हैं. ”
एसपीपी अमित प्रसाद ने क्या कहा?
एसपीपी अमित प्रसाद ने पहले कहा था कि खालिद के मोबाइल फोन के डेटा से पता चला है कि वह कुछ अभिनेताओं, राजनीतिक नेताओं, कार्यकर्ताओं और मशहूर हस्तियों के संपर्क में था. उन्हें खालिद ने कुछ समाचार पोर्टल के लिंक और दूसरे सामग्री भेजकर इन्हें अपने सोशल मीडिया खातों पर साझा करने की गुजारिश की थी ताकि वह एक खास विमर्श गढ़ सके.
कोर्ट ने सात मई तक सुनवाई की स्थगित
खालिद के वकील ने दावा किया, "क्या यह साझा करने में कुछ गलत है कि उसे गिरफ्तार किया जाएगा? क्या मैं उन लोगों की संख्या सीमित कर दूं, जिन्हें मैं संदेश भेजता हूं? एक मुल्जिम किसी और को खबर क्यों नहीं भेज सकता? यह असली विमर्श है.” उन्होंने दावा किया कि अभियोजन पक्ष ने दंगे भड़काने का इल्जाम लगाने के लिए खालिद के नाम का "बार-बार" एक मंत्र की तरह उल्लेख किया. वकील ने पूछा कि क्या "एक झूठ को सौ बार दोहराने" से वह सच हो सकता है. कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद सुनवाई सात मई तक के लिए स्थगित कर दी.