Protest on Desecration of the Quran: स्वीडन में जबसे एक शख्स ने मस्जिद के बाहर कुरान जलाई है तब से इसके खिलाफ दुनियाभर में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. इसी कड़ी में स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में भी कुरान जलाए जाने के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुए. विरोध प्रदर्शन में हजारों लोगों ने हिस्सा लिया. यह विरोध प्रदर्शन राजधानी की उसी जगह पर हुआ जहां पर 28 जून को कुरान की प्रति जलाई गई थी. 


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3 हजार लोगों ने किया विरोध प्रदर्शन


स्वीडिश पुलिस के मुताबिक रविवार को तकरीबन 3000 लोग इकट्ठा हुए और उन्होंने विरोध प्रदर्शन किया. इस विरोध प्रदर्शन को यूनाइटेड इस्लामिक एस्सोसिएशंन के चेयरमैन मुस्तफा इस्सा ने 
ऑर्गनाइज किया. उन्होंने कहा कि कुरान को जलाना नफरती काम था, इसकी इजाजत नहीं दी जानी चाहिए थी. 


एर्दोगान ने क्या कहा?


कुरान जलाए जाने के मामले के बाद तुर्की के राष्ट्रपति रेचे तैय्यब अर्दोगान ने प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने तमाम पश्चिमी देशों से अपील की है कि वह इस्लामोफोबिया के खिलाफ एकजुट हों. एर्दोगान ने कहा कि "हम सभी, सभी मुसलमानों की यह जिम्मेदारी है कि जो काम पहले हुआ, जिस पर हमने पुरी तरह से प्रतिक्रिया दी वह काम दोबारा न हो. अगर हम एक दिल से और अपनी कलाई से इसे रोकेंगे तो पूरी दुनिया में किसी की हिम्मत नहीं है कि वह मुसलमानों की पवित्रता पर हमला करे."


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क्या है पूरा मामला?


दरअसल स्वीडेन की राजधानी स्टॉकहोम में एक शख्स ने मस्जिद के बाहर विरोध प्रदर्शन किया. इसके बाद उस शख्स ने तकरीबन 200 लोगों के सामने मुसलमानों की सबसे पवित्र किताब कुरान को आग के हवाले कर दिया. इस पर कई मुस्लिम देशों ने नाराजगी जताई है. 


मुस्लिम देशों कि प्रतक्रिया 


ईराक में इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुए. यहां लोगों ने 'हां, हां कुरान' के नारे लगाए. तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयब अर्दोगान ने कहा कि "हम घमंडी पश्चिमी लोगों को यह बताएंगे कि मुसलमानों की बेइज्जती करना अभिव्यक्ति की आजादी नहीं है."


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