अफगानिस्तान (Afghanistan) में जबसे तालिबान ने सत्ता संभाली है, तभी से संयुक्त राष्ट्र अमेरिका और सहयोगी देशों ने अफगानिस्तान पर कई तरह के प्रतिबंध के साथ-साथ विदेश में रिजर्व अफगानिस्तान के पैसे को फ्रीज़ कर दिया है. गरीबी और बुनयादी सुविधाओं की कमी से जूझ रहे इस देश में आम लोगों की हालत काफी खराब है. इसको लेकर भारत ने UN में चिंता जताई है. संयुक्त राष्ट्र में भारत की परमानेंट रिप्रजेंटर रुचिरा कंबोज ने अफगानिस्तान के हालातों पर चिंता जताते हुए अफगानिस्तान में एक समावेशी सरकार के गठन का आह्वान किया है.


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अफगानिस्तान के हालातों पर भारत को चिंता
भारत की और से बोलते हुए रुचिरा कंबोज ने कहा, "अफगानिस्तान में आतंकवाद से मुकाबला और अल्पसंख्यकों, महिलाओं, बच्चों के अधिकारों की हिफाजत भारत की तत्कालिक प्राथमिकता है." इसके आगे कंबोज ने कहा अफगानिस्तान का पड़ोसी और दोस्त देश होने के नाते अफगानिस्तान में स्थिरता को लेकर भारत अभी भी चिंतित है. इसके अलावा कंबोज ने कहा की हमारी प्राथमिक्ताओं में अफगानिस्तान के लोगों को मानवीय एड पहुंचाना, एक समावेशी और प्रतिनिधि सरकार का देश में गठन शामिल है.


तालिबान सरकार को मान्यता नहीं
बता दें भारत ने अभी तक तालिबान सरकार को रिकॉग्नाइज नहीं किया है और काबुल में समावेशी सरकार के गठन की तरफदारी कर रहा है. इसके साथ-साथ भारत इस बात पर भी नजर रखे हुए है, कि अफगान धरती का इस्तेमाल किसी भी भारत विरोधी गतिविधियों के लिए नहीं किया जाए. अगस्त 2021 में अफगानिस्तान की सत्ता संभालने और अमेरिका को अफगानिस्तान से भागाने के बाद अफगानिस्तान ने पूरे अफगानिस्तान में शरिया कानून लागू कर दिया है. जिसकी वजह से कई पक्ष्चिमी देश अफगानिस्तान की तालिबान सरकार को मान्यता नहीं दे रहे हैं. इन सबका सीधा असर अफगानिस्तान की आम जनता पर पड़ रहा है, जिसको लेकर भारत ने चिंता जताई है.