बांग्लादेश का ये कट्टर राजनितिक दल भारत से चाहता है बेहतर रिश्ता, कहा- हम पड़ोसी से दूर नहीं रह सकते
Bangladesh News: बांग्लादेश में पिछले महीने से हिंसा जारी है. इस हिंसा में 300 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. जिसके बाद बांग्लादेश में तख्तापलट हो गया और शेख हसीना को छोड़ छोड़ना पड़ा. इस बीच बांग्लादेश जमात-ए-इस्लामी ने भारत को लेकर चौंकाने वाला दावा किया है.
Bangladesh News: बांग्लादेश जमात-ए-इस्लामी के चीफ शफीकुर रहमान ने भारत को लेकर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी भारत के साथ सौहार्दपूर्ण और स्थिर संबंध चाहती है, लेकिन उन्होंने जोर देकर कहा कि नई दिल्ली को पड़ोस में अपनी विदेश नीति पर पुनर्विचार करने की जरूरत है. क्योंकि द्विपक्षीय संबंधों का मतलब एक-दूसरे के आंतरिक मुद्दों में हस्तक्षेप करना नहीं है.
बांग्लादेश जमात-ए-इस्लामी के अमीर रहमान ने न्यूज एजेंसी को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि उनकी पार्टी भारत और बांग्लादेश के बीच घनिष्ठ संबंधों का समर्थन करती है, लेकिन उनका यह भी मानना है कि बांग्लादेश को अतीत के बोझ को पीछे छोड़कर अमेरिका, चीन और पाकिस्तान जैसे देशों के साथ मजबूत और संतुलित संबंध बनाए रखने चाहिए. इसके अलावा रहमान ने तर्क दिया कि जमात-ए-इस्लामी को भारत विरोधी मानने की नई दिल्ली की धारणा गलत है.जमात-ए-इस्लामी किसी देश के खिलाफ नहीं है. यह एक गलत धारणा है. हम बांग्लादेश के समर्थक हैं और सिर्फ बांग्लादेश के हितों की रक्षा करने में रुचि रखते हैं.
भारत से चाहते हैं अच्छे संबंध
जमात-ए-इस्लामी ने सुझाव दिया कि बेहतर होता अगर बांग्लादेश की पूर्व पीएम शेख हसीना अशांति की वजह से इस्तीफा देने के बाद भारत नहीं भागतीं. उन्होंने कानून का सामना करने के लिए बांग्लादेश लौटने की वकालत की. बांग्लादेश जमात-ए-इस्लामी के चीफ ने कहा कि भारत हमारा पड़ोसी है और हम एक अच्छा, स्थिर और सामंजस्यपूर्ण द्विपक्षीय संबंध चाहते हैं. हालांकि, भारत ने अतीत में कुछ ऐसे काम किए हैं जो बांग्लादेश के लोगों को पसंद नहीं आए."
आंतरिक मुद्दों पर न करें हस्तक्षेप
उदाहरण के तौर पर उन्होंने कहा, 2014 के बांग्लादेश चुनावों के दौरान, एक सीनियर भारतीय राजनयिक ने ढाका का दौरा किया और निर्देश दिया कि किसे भाग लेना चाहिए और किसे नहीं. यह अस्वीकार्य था, क्योंकि यह पड़ोसी देश की भूमिका नहीं है. हमारा मानना है कि भारत आखिर में बांग्लादेश के संबंध में अपनी विदेश नीति पर दोबारा से विचार करेगा. हमें लगता है कि एक-दूसरे के आंतरिक मुद्दों में हस्तक्षेप से बचना चाहिए."
जमात-ए-इस्लामी भारत से करना चाहता है दोस्ती
रहमान ने कहा कि जमात-ए-इस्लामी चाहती है कि भारत दोस्त बने और द्विपक्षीय संबंधों में जिम्मेदार भूमिका निभाए. साथ ही उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि उनकी पार्टी संबंधों को बेहतर बनाने की अपनी जिम्मेदारी को स्वीकार करती है, लेकिन इस बात पर जोर देती है कि ये संबंध एक-दूसरे के आंतरिक मुद्दों में हस्तक्षेप न करने वाले होने चाहिए. एक साथ काम करना और हस्तक्षेप करना दो अलग-अलग चीजें हैं. एक साथ काम करना सकारात्मक अर्थ रखता है, जबकि हस्तक्षेप नकारात्मक है. द्विपक्षीय संबंधों का मतलब सहयोग और आपसी सम्मान होना चाहिए. भारत हमारा सबसे करीबी पड़ोसी है. हम भूमि और समुद्री दोनों सीमाओं को साझा करते हैं, इसलिए हमारे बीच अच्छे संबंध होने चाहिए. क्योंकि आप अपने पड़ोसी से दूर नहीं रह सकते."