Iran Israel News: ईरान के हमले के बाद मिडिल ईस्ट में टेंशन पैदा हो गई है. ईरान ने लगभग 200 मिसाइलें दागीं, जिसमें इजराइल का भारी नुकसान हुआ है. यह हमला हिज़बुल्लाह लीडर नसरुल्लाह की मौत के बदले के तौर पर देखा जा रहा है. ऐसा प्रतीत होता है कि इजराइल की ओर से सीधे तौर पर किए हमले ने मिडिल ईस्ट में एक नई जंग को जन्म दे दिया है.


कैसे बची इजराइलियों की जान?


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हमले के कुछ ही सेकंड बाद, इजरायल ने ईरान को रोकने के लिए अपनी एंटी मिसाइल सिस्टम तैनात कर दिया और हवाई हमले के सायरन बजाने शुरू कर दिए, जिससे वहां रहने वाले लोग बम शेल्टर्स में पहुंच गए. इजराइल हर बार आयरन डोम डिफेंस सिस्टम से मिसाइलों को रोकता आया है. जिसे उसने हिजबुल्लाह और हमास के खिलाफ इस्तेमाल किया था.


इस टेकनोलोजी ने बचाई जान


आयरन डोम शॉर्ट रेंज मिसाइल को डिटेक्ट कर पाती हैं. हालांकि ईरान की बैलेस्टिक मिसाइलें काफी ऊचाई से दागी गई थीं. जिसकी वजह से यह उन्हें डिटेक्ट नहीं कर पाया. ऐसे में ईरान के दूसरे डिफेंस सिस्टम एक्टिवेट हो गए. 'डेविड स्लिंग और 'एरो2 और 3'. ‘आयरन डोम’ के साथ इन दो सिस्टम का आखिरी बार इस्तेमाल इजरायल के जरिए पिछले साल अप्रैल में ईरान के जरिए प्रक्षेपित 300 से अधिक ड्रोन, बैलिस्टिक और क्रूज मिसाइलों को रोकने के लिए किया गया था.


2011 में बना था आयरन डोम


अमेरिकी समर्थन से राफेल एडवांस्ड डिफेंस सिस्टम के जरिए बनाया गया ‘आयरन डोम’ 2011 में चालू हो गया था. इसे खास तौर पर हिजबुल्लाह और हमास के जरिए दागे जाने वाले लगातार आने वाले बिना दिशा वाले कम दूरी के रॉकेटों को रोकने के लिए डिजाइन किया गया था. यह प्रणाली यह निर्धारित करती है कि रॉकेट आबादी वाले क्षेत्र में गिरने वाला है या नहीं. यदि नहीं, तो रॉकेट को अनदेखा कर दिया जाता है और उसे बिना किसी नुकसान के उतरने दिया जाता है.