Kabul News: काबुल में बुधावर को तालिबान के शरणार्थी मंत्री खलील हक्कानी की एक आत्मघाती बम विस्फोट में मौत हो गई. यह हमला तब हुआ जब हक्कानी नेटवर्क के मुखिया अपने दफ्तर से बाहर निकल रहे थे. इस हमले में हक्कानी के अलावा और छह अन्य लोग भी मारे गए. इस फिदायन हमले को लेकर अफगानिस्तानी मीडिया ने बहुत बड़ा खुलासा किया है. अफगान मीडिया की कुछ रिपोट्स में इस हमले के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया है.


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अफगान की खामा प्रेस न्यूज एजेंसी ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि यह घातक आत्मघाती हमला पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) का काम हो सकता है. एजेंसी ने तालिबान के खुफिया डिपार्टमेंट से जुड़े अल-मर्साद नामक एक मीडिया आउटलेट के हवाले से यह दावा किया है.


रिपोर्ट के मुताबिक "हमले से पहले पाकिस्तानी सेना से जुड़े अकाउंट्स से धमकी भरी पोस्ट और इसकी प्रकृति के आधार पर, इस बात की बहुत ज्यादा संभावना है कि इसके लिए ISIS-खोरासन (आईएसआईएस-के) जिम्मेदार है"


'ईगल आई' ने रची साजिश
रिपोर्ट में बताया गया है कि अल-मर्साद ने 'ईगल आई' नामक एक यूजर का इसमें जिक्र किया है. इसने तालिबानी मंत्री पर घातक हमले से कुछ ही घंटे पहले एक मैसेज भी पोस्ट किया, जिसमें कहा गया, "एक और काफिला नजदीक है." इतना ही नहीं यूजर ने विस्फोट के फौरन बाद इस पोस्ट को डिलीट कर दिया. बताया जा रहा है कि ये अकाउंट पाकिस्तानी सेना से जुड़ा हुआ है.


वहीं, इस हमले की जिसम्मेदारी पहले ही आईएसआईएस-के ने ले ली है. रिपोर्ट के मुताबिक बुधवार, 11 दिसंबर की रात को आईएसआईएस-के ने अपने टेलीग्राम चैनल पर एक बयान जारीकर हक्कानी की हत्या की जिम्मेदारी ली. आईएसआईएस-खोरासन के बयान में यह भी उल्लेख किया गया है कि खलील-उर-रहमान हक्कानी के अलावा, हमले में कई अन्य व्यक्ति मारे गए.


इस बीच, पाकिस्तान के फॉरेन मिनिस्टरी ने आत्मघाती हमले की निंदा की. पाकिस्तानी डिप्टी पीएम और विदेश मंत्री इशाक डार ने X पर एक पोस्ट में हमले में हुई मौतों और जानमाल के नुकसान पर अपनी संवेदना व्यक्त करते हुए कहा, "पाकिस्तान आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों की स्पष्ट रूप से निंदा करता है."


सबसे पुराना दोस्त पाक क्यों बना तालिबान का दुश्मन?
हाल ही में हक्कानी मे शरणार्थियों के मुद्दे पर पाकिस्तानी सरकार के रवैय की आलोचना की थी. उन्होंने 8 अक्टूबर को काबुल में एक  प्रोग्राम के दौरान अफगान शरणार्थियों के साथ दुर्व्यवहार के लिए कई देशों, खासकर पड़ोसी देशों की आलोचना की थी. उन्होंने कहा था कि देश अलग-अलग बहाने बनाकर अफगान नागरिकों के साथ बदसलूकी कर रहे हैं. हक्कानी ने कहा था कि अफगान शरणार्थी किसी भी मुल्क के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करते हैं और पड़ोसी देशों को भी अफगान शरणार्थियों को निकालना बंद कर देना चाहिए.


पाकिस्तान कभी तालिबान का सबसे बड़ा  बड़ा समर्थक था, लेकिन अगस्त 2019 में तालिबान के काबुल की सत्ता हथियाने के बाद दोनों के बीच रिश्ते बिगड़ने लगे और दोनों के बीच कई मुद्दों को लेकर तनाव पैदा हो गए. इसमें अफ़गान संघर्ष और पाकिस्तान में अफगान शरणार्थी, जल-बंटवारे के अधिकार जैसे मुद्दे शामिल हैं.