नई दिल्लीः 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' की संभावना तलाशने के लिए गठित उच्च स्तरीय आयोग ने लोकसभा और विधानसभा चुनाव साथ कराने की अनुशंसा करने से पहले दक्षिण अफ्रीका, स्वीडन और बेल्जियम समेत सात देशों की चुनाव प्रक्रिया का अध्ययन किया है. ऐसे देश जहां एक साथ चुनाव होते हैं, उनमें जर्मनी, जापान, इंडोनेशिया और फिलिपीन शामिल हैं.
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बृहस्पतिवार को 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' से जुड़े विधेयकों को मंजूरी दे दी. सूत्रों ने बताया कि मसौदा विधेयकों को मौजूदा शीतकालीन सत्र में संसद में पेश किए जाने की संभावना है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में विधेयकों को मंजूरी दी गई.
रिपोर्ट में क्या की गई हैं सिफारिशें
पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाले आयोग ने मार्च में अपनी रिपोर्ट वर्तमान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंपी थी. रिपोर्ट में शुरुआत में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने की अनुशंसा की गई है. उसके बाद स्थानीय निकायों के चुनाव कराए जाने की सिफारिश की गई. सितंबर में सरकार ने आयोग की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया था.
रिपोर्ट के अनुसार, एक साथ चुनाव कराने के मुद्दे पर विचार करते समय अन्य देशों का तुलनात्मक विश्लेषण किया गया. रिपोर्ट के मुताबिक इसका उद्देश्य चुनावों में निष्पक्षता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए सर्वोत्तम अंतरराष्ट्रीय प्रक्रियाओं का अध्ययन करना और उन्हें अपनाना था.
रिपोर्ट में कहा गया है, 'दक्षिण अफ्रीका में मतदाता नेशनल असेंबली और प्रांतीय विधानमंडल दोनों के लिए एक साथ मतदान करते हैं. हालांकि, नगरपालिका चुनाव पांच साल के अंतराल पर प्रांतीय चुनावों से अलग होते हैं. 29 मई को दक्षिण अफ्रीका में नई नेशनल असेंबली और प्रत्येक प्रांत के प्रांतीय विधानमंडल के लिए चुनाव होगा.'
आयोग ने कहा कि स्वीडन में आनुपातिक निर्वाचन प्रणाली का पालन किया जाता है, जिसका अर्थ है कि राजनीतिक दलों को उनके वोटों के हिस्से के आधार पर निर्वाचित विधानसभा में कुछ सीटें आवंटित की जाती हैं.
जर्मनी या जापान का मॉडल अपनाने की अनुशंसा
आयोग के सदस्य सुभाष सी. कश्यप ने चुनाव के लिए जर्मनी का तरीका अपनाने की अनुशंसा की है. रिपोर्ट में कहा गया है, 'उन्होंने जर्मनी के अलावा जापान में अपनाई जाने वाली प्रक्रिया के बारे में भी बताया. जापान में प्रधानमंत्री की नियुक्ति सबसे पहले नेशनल डायट द्वारा की जाती है और उसके बाद सम्राट उसे मंजूरी देता है. उन्होंने जर्मन या जापानी मॉडल जैसा मॉडल अपनाने का समर्थन किया. उनके अनुसार, यह भारत के लिए भी फायदेमंद होगा.'
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