Saudi Arabia News: हमास-इसराइल के बीच पिछले साल 7 अक्टूबर से जंग जारी है. इस बीच अमेरिका, सऊदी अरब पर इसराइल से राजनीतिक संबंध स्थापित करने का दवाब बना रहा है. इस पर सऊदी अरब ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. सऊदी ने अमेरिका से साफ शब्दों में कहा है कि इसराइल के साथ वह राजनीतिक संबंध, तब तक स्थापित नहीं करेगा, जब तक कि साल 1967 की बॉर्डर के आधार पर आजाद फिलिस्तीन मुल्क का गठन नहीं हो जाता है.


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इसराइल-फिलिस्तीन मुद्दे पर सऊदी अरब की दो टूक
सऊदी अरब और इसराइल के बीच राजनीतिक रिश्ते बहाल करने में अमेरिका का अहम भूमिका निभा रहा है. दोनों देशों के बीच राजनीतिक रिश्ते समान्य करने को लेकर बातचीत शुरू हो गई थी, लेकिन 7 अक्टूबर को हमास ने इसराइल पर हमला कर दिया. जिसके बाद इसराइल और हमास के बीच में जंग छिड़ गई, जिससे अमेरिका का ये योजना ठंडे बस्ते में चली गई थी. सऊदी अरब की सरकारी न्यूज एजेंसी सऊदी गैजेट के मुताबिक, सऊदी अरब ने अमेरिका को यह साफ-साफ कह दिया है कि फिलिस्तीन मुद्दे पर जरूरी कदम उठाए बिना, वह इसराइल के साथ राजनयिक संबंध स्थापित नहीं करेगा. 


सऊदी अरब हमेशा करता है फिलिस्तीन का समर्थन
सऊदी अरब हमेशा से फिलिस्तीन का समर्थन करता रहा है. सऊदी इसराइल का कट्टर विरोधी है. गाजा में हिंसा शुरू होने के बाद से ही सऊदी अरब गाजा पट्टी में इसराइल की तरफ से जारी हमले को भी रोकने की गुजारिश की है. इसके साथ ही इसराइल के साथ आने वाले दिनों में किसी भी राजनयिक रिश्ते स्थापित करने के संबंध में सऊदी अरब इसराइल के जरिए कब्जा किए गए इलाकों से इसराइली फौज की वापसी पर जोर दिया है.


सऊदी ने की आजाद फिलिस्तीन की मांग
सऊदी अरब ने UN में अपील करते हुए कहा है, "जिन्होंने अभी तक फिलिस्तीन मुल्क को मान्यता नहीं दी है, वो आजाद फिलिस्तीन को मान्यता दें. सऊदी अरब 1967 की सीमाओं के आधार पर पूर्वी यरुशलम को इसकी राजधानी के रूप में त्वरित मान्यता की वकालत करता है. जिसका उद्देश्य फिलिस्तीनी लोगों को उनके वैध अधिकार मिले और एक व्यापक शांति सुनिश्चित करने के लिए सशक्त बनाना है."