दमिश्क: सीरिया में बशर अल असद के सत्ता से बेदखल होने के बाद दमिश्क में कई सदियों से रह रहे यहूदियों के भविष्य को लेकर कई तरह की अटकलें लगने शुरू हो गए थे. हयात तहरीर अल-शाम ( HTS ) के द्वारा देश में इस्लामिक कानून पूरी तरह से लागू करने के बाद यहूदियों का क्या होगा? ये सबसे बड़ा सवाल था, लेकिन सीरिया में संविधान बनने और चुनाव होने के सुगबुगाहट के बीच यहूदियों को लेकर बड़ी खबर आई है.


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रिपोर्ट के मुताबिक, सीरिया में बचे हुए यहूदी जल्दी ही दमिश्क के उपनगर (जोबार) में दुनिया के सबसे पुराने सिनेगॉग (उपासना गृह) जा सकते हैं. एक वक्त था जब पूरे क्षेत्र से यहूदी मजहब के लोग यहां प्रार्थना करने आते थे.  लेकिन, सीरिया में 13 साल तक जारी गृहयुद्ध की वजह से यहूदियों का यह उपासना स्थल ‘सिनेगॉग’ को भारी नुकसान पहुंचा है.  दीवारें और छतें ढह गई हैं. कुछ कलाकृतियां भी गायब हैं. 


720 साल पुराना है सिनेगॉग
बताया जा रहा है कि सीरिया के सबसे पुराने उपासना स्थल में से एक के गेट पर संगमरमर पर अरबी भाषा में एक चिह्न है, जिस पर लिखा है कि इसे ईसा से 720 साल पहले बनाया गया था. दिसंबर के शुरुआत में विद्रोहियों द्वारा प्रेसिडेंट बशर अल-असद को अपदस्थ किए जाने के बाद से लोग तबाह हो चुके जोबार उपनगर में सुरक्षित रूप से जा पा रहे हैं.


मुल्क में सिर्फ 9 यहूदी बचे हैं
बता दें कि, सीरिया कभी दुनिया के सबसे बड़े यहूदियों के देशों में से एक था, लेकिन साल 1948 में इसराइल के गठन के बाद से यहां तादाद कम होती गई.  यहूदी समुदाय के मुताबिक, सीरिया में अब सिर्फ 9 यहूदी बचे हैं. इनमें सारे बुजुर्ग पुरुष और महिलाएं हैं.


यहूदियों के लिए खास ये सिनेगॉग 
लोगों का मानना ​​है कि आने वाले कुछ सालों में देश में एक भी सीरियाई यहूदी नहीं बचेगा. जोबार सिनेगॉग, जो एलियाहू हनवी सिनेगॉग के नाम से भी मशहूर है. यहां पर गुरुवार को आए लोगों में से एक सीरिया में समुदाय के चीफ बखौर चामंतौब भी थे. पंद्रह साल में अपनी पहला सफर के दौरान चामंतौब (74) ने कहा, "यह सिनेगॉग हमारे लिए बहुत मायने रखता है." चामंतौब ने कहा कि दुनिया भर से यहूदी लोग उन्हें फोन कर कह रहे हैं कि वे पुनर्निर्माण में मदद के लिए तैयार हैं.