पाकिस्तान की गुजारिश पर संयुक्त राष्ट्र संघ की ह्यूमन मानवाधिकार परिषद ने स्वीडन में मस्जिद के बाहर कुरान जलाए जाने के मामले पर एक अरजेंट मीटिंग बुलाई है. परिषद के एक प्रवक्त ने  प्रेस कांफ्रेंस में बताया कि मजहबी नफरत के बढ़ने पर इस सप्ताह के आखिर में बहस बढ़ सकती है. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

कुरान के जलाए जाने का मामला स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम की एक मस्जिद के सामने पेश आया था. यहां पर एक शख्स ने पुलिस की इजाजत के साथ एक विरोध प्रदर्शन में कुरान जलाई थी. स्वीडिश सरकार ने कुरान जलाए जाने की निंदा की और इसे 'इस्लामोफोबिक' काम बताया. 


स्वीडेन में कुरान जलाए जाने के मामले में कई मुस्लिम देशों में अपना रद्देअमल जाहिर किया है. उन्होंने मांग की है कि मजहबी नफरत के खिलाफ कदम उठाए. मोरक्को ने इस मामले की मजम्मत की और स्वीडन से अपने राजदूत को वापस बुला लिया है. मोरक्को के विदेश मंत्रालय ने रबात में स्वीडन के प्रभारी डी'एफ़ेयर से भी मुलाकात की और अपनी बात रखी. मोरक्को की नेश्नल मीडिया के मुताबिक "इस मामले की वह कड़ी निंदा करते हैं और इस काम को अस्वीकार करते हैं."


ये मामला होने के फौरन बाद ईराक में स्वीडिश एम्बेसी के बाहर विरोध प्रदर्शन हुए. इन लोगों ने 'हां, हां कुरान' के नारे लगाए. तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयब अर्दोगान ने कहा कि "हम घमंडी पश्चिमी लोगों को यह बताएंगे कि मुसलमानों की बेइज्जती करना अभिव्यक्ति की आजादी नहीं है."


तुर्की मौजूदा वक्त में नाटो सदस्यता के लिए स्वीडन के आवेदन को रोक रहा है. उसका इल्जाम है कि वह उन लोगों को शरण देता है जिन्हें तुर्की "आतंकवादी" मानता है. तुर्की के विदेश मंत्री हाकन फिदान ने कहा कि "हम चिंतित हैं क्योंकि स्वीडन उकसावे को रोकने में नाकाम है." 


फ़िदान ने कहा कि "तुर्की को उम्मीद है कि स्वीडन पिछले साल नाटो मैड्रिड शिखर सम्मेलन में हुए समझौते के तहत अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करेगा, ताकि वह सैन्य गठबंधन में शामिल हो सके."


Zee Salaam Live TV: