Who are Jews: किसकी पूजा करते हैं यहूदी; इस्लाम से क्यों चलता है इनका 36 का आंकड़ा?
Judaism: इजराइल और फिलिस्तीन की जंग के बीच सवाल आ रहा है कि आखिर यहूदी कौन होते हैं और अकसर इनका मुसलमानों के साथ विवाद क्यों चलता आ रहा है. आइये जानते हैं पूरी डिटेल
Judaism: जब से इजराइल और फिलिस्तीन के बीच वॉर शुरू हुआ है, तबसे काफी लोगों के मन में सवाल होगा कि आखिर यहूदी कौन होते हैं और यह किस खुदा को मानते हैं. पूरी दुनिया में यहूदी केवल 0.2 फीसद हैं और ज्यादातर यहूदी इजराइल में ही बसते हैं. यहूदियों और मुसलमानों के बीच इजराइल को लेकर सदियों से विवाद होता आया है. आज\ हम आपको बताने वाले हैं कि आखिर यहूदी कौन होते हैं और इनकी जड़ें इस्लाम से कैसे जुड़ती हैं.
एक खुदा में यकीन
यहूदी मुसलमानों की तरह एक खुदा में यकीन रखते हैं. ईसाई और यहूदी दोनों की ही जड़ें इस्लाम से जुड़ी हुई हैं. यहूदी धर्म को जानने के लिए आपको इस्लामिक इतिहास में पीछे जाना होगा. इस्लाम में मान्यता है कि चार किताबें अलग-अलग पैगंबरों यानी मैसेंजर्स पर उतारी गई थीं, ताकि वह समाज का उत्थान कर सकें और भटके हुए लोगों को सही राह पर ला सकें. इन तीन किताबों के नाम इंजील, तौराह, जबूर और कुरान है.
इस्लाम से जुड़ी है जड़ें
यहूदी धर्म को मानने वाले तौरा किताब को मानते हैं और उसी के मुताबिक अपनी जिंदगी बिताते हैं. उनका मानना है कि यह किताब Moses यानी हजरत मूसा (अ.स.) पर उतारी गई थी. वहीं मुसलमान कुरान को आखिरी और सबसे सही किताब का दर्जा देते हैं. उनका मानना है कि पैगम्बर मोहम्मद साहब के आने के बाद इंजील, तैरा और जबूर को रद्द कर दिया गया था, क्योंकि उन किताबों में लोगों के जरिए फेर बदल किया गया था.
कौन होते हैं यहूदी?
दोनों धर्मों के के बारे में जाने के लिए आपको एब्राहम यानी इब्राहिम अ.स के फैमिल ट्री को जानना होगा. इब्राहिम अ.स को इस्लाम में पैगंबर माना गया है, और यही इजरायलियों और अरबों के पूर्वज माने जाते हैं. यहूदी इब्राहिम को खुदा और यहूदियों के बीच खास रिश्ता कायम करने वाला फाउंडिंग फादर बताते हैं. इब्राहिम की दो बीवियां थीं- सारा और हाजरा. सारा से इसहाक पैदा हुए और हाजरा से इस्माइल पैदा हुए. सारा के जरिए चले इस कुल में आगे चलकर याकूब, मूसा, दाऊद और सुलेमान पैदा हुए, और इस कुल को अरबी में बनी-इस्राइल बोला गया. किंग डेविड यानी हजरत दाऊद ने ही येरुशेलम को बसाया और उनके बेटे सुलेमान ने हैकल-ए-सुलेमानी बनवाया, जिसे यहूदी अपना सबसे बड़ा टेंपल मानते हैं. इस जगह को मुसलमान भी पवित्र दर्जा देते हैं.
प्रोफेट मोहम्म्द (स.) पर उतरा कुरान
वहीं हाजरा के जरिए चले कुल में आगे चलकर आखिरी पैगम्बर मोहम्मद स.अ पैदा हुए, इस कुल को बनी इस्लामइल बोला गया. पैगम्बर मोहम्मद पर ही खुदा ने कुरान उतारा था. कुरान को अपनी पवित्र किताब मानने वालों ने खुद को मुसलमान माना. मुसलमान याकूब, मूसा, दाऊद और सुलेमान को भी पैगम्बर मानते हैं, लेकिन उनका यकीन आखिरी किताब कुरान पर है. वहीं यहूदी तौरा के साथ-साथ 10 कमेंडमेंट्स और तालमद को मानते हैं. यह किताबें हिब्रू में लिखी गई हैं.
मुसलमानों का पहला किबला
इजराइल को लेकर हमेशा से यहूदियों मुसलमानों और ईसाइयों के बीच विवाद रहा है. जेरेसुलम शहर को तीनों ही धर्म पवित्र मानते हैं. यहां मौजूद मस्जिद अल-अक्सा को मुसलमान शुरुआत से ही किबला मानते थे, किबला उस दिशा को कहते हैं, जिधर मुंह करके मुसलमान नमाज पढ़ते हैं, बाद में किबला काबा हो गया. इसके साथ ही मुसलमानों का मानना है कि इसी जगह से मोहम्मद साहब स्वर्ग यानी जन्नत के सफर पर गए थे. ईसाइयों के लिए यह जगह इसलिए खास है क्योंकि इसी जगह ईसा मसीह को फांसी पर लटकाया गया था. यहूदियों का मानना है कि इस शहर को 3 हजार साल पहले किंग डेविड ने बसाया था. किंग डेविड को मुसलमान पैगम्बर मानते हैं.