Iran Re-elections: हेलिकॉप्टर हादसे में ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की मौत के बाद 28 जून को ईरान में नए राष्ट्रपति के लिए वोटिंग हुई और 29 जून को वोटों की गिनती हुई. जिसमें किसी भी उम्मीदवार को 50 फीसद से ज्यादा वोट नहीं मिले. देश के 14वें राष्ट्रपति इलेक्शन के लिए चुनावी मैदान में कुल 4 कैंडिडेट थे, जिनमें से दो के बीच अब अगले फेज में मुकाबला होगा.


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क्यों हो रहा है दोबारा इलेक्शन
ईरान के संविधान के मुताबिक, अगर राष्ट्रपति चुनाव में किसी भी उम्मीदवार को 50 फीसद से ज्यादा वोट नहीं मिलते हैं, तो दोबारा चुनाव कराना अनिवार्य है. वहीं, इस इलेक्शन में किसी भी उम्मीदवार को 50 फीसद से ज्यादा वोट नहीं मिले हैं, जिसकी वजह से 5 जुलाई को दूसरे फेज का मतदान (रन ऑफ) कराया जाएगा. ईरान ईरान की इंटीरियर मिनिस्ट्री ने यह जानकारी दी है.


दोनों कैंडिडेट को मिले इतने वोट
5 जुलाई को होने वाला चुनाव सुधारवादी माने जाने वाले नेता मसूद पेजेशकियन और कट्टरपंथी माने जाने वाले सईद जलीली के बीच होगा. समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, ईरान के गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, "कुल 2.45 करोड़ वोटों में से पेजेशकियन को 1.04 करोड़ (10,415,991) और सईद जलीली को 9.47 करोड़ (9,473,298) वोट मिले."


नहीं मिला किसी कैंडिडेट को बहुमत
प्रवक्ता मोहसिन इस्लामी ने कहा, "इलेक्शन में किसी एक कैंडिडेट को स्पष्ट बहुमत नहीं मिल सका है, इसलिए सबसे ज्यादा वोट पाने वाले पहले और दूसरे कैंडिडेट्स के बारे में गार्डियन काउंसिल को जानकारी दी जाएगी."


इतिहास में सबसे कम हुई वोटिंग
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, ईरान के 14वें राष्ट्रपति इलेक्शन में काफी कम वोटर टर्नआउट देखा गया है. ईरान की कुल आबादी 9 करोड़ है, जिसमें वोटरों की संख्य करीब 6.15 करोड़ है. ईरानी मीडिया के मुताबिक, इस इलेक्शन में लगभग 40 फीसद लोगों ने मतदान किया है. दावा किया जा रहा है कि साल 1979 में हुई इस्लामी क्रांति के बाद से अब तक का ये सबसे कम वोटर टर्नआउट है.