ईरान ने क्यों लिया हिजाब कानून वापस? राष्ट्रपति ने बताई बड़ी वजह
Iran Withdraw Hijab Law: इस साल ईरान के राष्ट्रपति चुनाव के दौरान, पेजेशकियन ने हिजाब के संबंध में महिलाओं के प्रति सरकार के व्यवहार पर अपनी असहमति व्यक्त की थी. अब बड़ी खबर सामने आई है.
Iran Withdraw Hijab Law: मीडिल ईस्ट में मची उथल-पुथल के बीच ईरान में इन दिनों सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. दरअसल, ईरान की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद ने 16 दिसंबर को विवादित हिजाब और पवित्रता कानून पर रोक लगा दी है. ईरान में विवादित हिजाब और पवित्रता कानून पेश किया गया. यह पिछले शुक्रवार यानी 13 दिसंबर को लागू हुआ, लेकिन इसके खिलाफ बढ़ते घरेलू और अंतरराष्ट्रीय विरोध के कारण इस कानून पर रोक लगा दी गई है.
ईरान के राष्ट्रपति ने क्या कहा?
बीबीसी के मुताबिक, ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन का कहना है कि यह कानून अस्पष्ट है और इसमें सुधार की जरूरत है. उन्होंने इसके कुछ प्रावधानों पर पुनर्विचार करने की बात कही है. इस कानून के अनुसार, जो महिलाएं अपने सिर के बाल, हाथ और पैर पूरी तरह से नहीं ढकती हैं, उन्हें 15 साल की कैद और जुर्माना हो सकता है.
राष्ट्रपति ने महिलाओं से किया था ये वादा
इस साल ईरान में हुए राष्ट्रपति इलेक्शन के दौरान पेजेशकियन ने हिजाब के मामले में महिलाओं के साथ सरकार के व्यवहार पर अपनी असहमति जताई थी. साथ ही, उन्होंने लोगों की व्यक्तिगत स्वतंत्रता का सम्मान करने का वादा किया था, जो ईरानी नौजवानों के बीच काफी लोकप्रिय हुआ.
इस्लामी क्रांति के बाद हिजाब हुआ अनिवार्य
साल 1936 में महिलाएं आजाद थीं, 1983 में हिजाब अनिवार्य हुआ ईरान में हिजाब लंबे समय से विवाद का विषय रहा है. नेता रेजा शाह के शासन में 1936 में महिलाएं आजाद थीं. शाह के उत्तराधिकारियों ने भी महिलाओं को स्वतंत्र रखा, लेकिन 1979 की इस्लामी क्रांति में अंतिम शाह के तख्तापलट के बाद 1983 में हिजाब अनिवार्य हो गया.
कानून के तहत इतने साल की जुर्माना
ईरान पारंपरिक रूप से अपने इस्लामी दंड संहिता के आर्टिकल 368 को हिजाब कानून के रूप में मानता है. इसके अनुसार, ड्रेस कोड का उल्लंघन करने वालों को 10 दिन से लेकर दो महीने तक की जेल हो सकती है या 50 हजार से 5 लाख ईरानी रियाल तक का जुर्माना लगाया जा सकता है.