जयपुरः राजस्थान की एक मकामी अदालत ने भाजपा के विधायक अमृत लाल मीणा को सरपंच के चुनाव में अपनी बीवी की फर्जी मार्कशीट पेश करने के मामले में जेल भेज दिया है. सारडा के पुलिस उपाधीक्षक डी एस चूंडावत ने कहा कि विधायक ने सोमवार को सारडा की अदालत में आत्मसमर्पण किया था. उनकी अंतरिम जमानत याचिका खारिज कर दी गई और उन्हें 23 जुलाई तक जेल भेजा गया है. मीणा इस वक्त उदयपुर जिले की सलूंबर विधानसभा से विधायक हैं.


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नामांकन के वक्त लगाया था 5वीं दर्जा का नकली मार्कशीट 
अफसरों के मुताबिक विधायक पर इल्जाम है कि उन्होंने 2015 में सरपंच ओहदे के चुनाव में अपनी बीवी की फर्जी मार्कशीट पेश की थी. मीणा ने सेमड़ी ग्राम पंचायत में सरपंच ओहदे के चुनाव में अपनी बीवी के दस्तावेजों पर अभिभावक (गार्जियन) के तौर पर दस्तखत किए थे. यह मुबैयाना फर्जी मार्कशीट दर्जा पांच की थी. इस मामले में शांतादेवी के खिलाफ आरोप पत्र पेश किया जा चुका है और वह इस समय जमानत पर हैं. चूंडावत ने कहा कि मीणा की अंतरिम जमानत याचिका हाईकोर्ट में खारिज हो गई थी. इसके बाद मीणा ने हाईकोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर की थी. न्यायालय ने मीणा से तीन सप्ताह में सारडा की अदालत में सरेंडर करने को कहा था. 


हरीफ ने दर्ज कराया था मुकदमा 
इस मामले में 2015 में शांतादेवी के खिलाफ चुनाव लड़ने वाली शुगना देवी ने सेमड़ी थाने में मामला दर्ज करवाया था जिसमें कहा था कि शांतादेवी ने चुनाव लड़ने के लिए नामांकन के समय फर्जी मार्कशीट पेश की है. इस मामले की जांच बाद में अपराध शाखा, अपराध अन्वेषण विभाग सीबी सीआईडी को सौंपी गई जिसने मार्कशीट को फर्जी पाया और शांतादेवी के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया. 


भाजपा ने ही बनाया था कानून 
राजस्थान में भाजपा की पिछली सरकार ने पंचायत व स्थानीय निकाय चुनाव में तालीमी लियाकत को लाजिमी की थी. हालांकि मौजूदा कांग्रेस सरकार ने फरवरी 2019 में दो बिल पास कर राज्य में पंच, सरपंच व पार्षद ओहदे का चुनाव लड़ने के लिए शैक्षणिक योग्यता की बाध्यता को खत्म कर दिया. विधानसभा ने राजस्थान पंचायती राज (संशोधन) विधेयक 2019 व राजस्थान नगरपालिका (संशोधन) विधेयक, 2019 को ध्वनिमत से पास किया था.


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