एक स्थानीय स्कूल द्वारा ‘अबाया’ पहनने वाली लड़कियों को प्रवेश देने से इनकार किए जाने पर कश्मीर में विभिन्न वर्गों ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. PDP अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने इसे संविधान में प्रदत्त धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला करार दिया है. 


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BJP की प्रयोगशाला बना कश्मीर


मुफ्ती ने कहा, “गांधी के भारत को गोडसे के भारत में बदलने की भाजपा की साजिशों के लिए जम्मू-कश्मीर एक प्रयोगशाला बन गया है. सारे प्रयोग यहीं से शुरू होते हैं. यह कर्नाटक में शुरू हुआ और कश्मीर तक पहुंच गया. यह हमें मंजूर नहीं है. इस पर गंभीर प्रतिक्रिया होगी क्योंकि कपड़े पहनना निजी पसंद है. कोई बाध्यता नहीं होनी चाहिए.” 


धर्म पर हो रहा हमला


उन्होंने कहा कि प्रतिबंध का आदेश धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला है जिसे “बर्दाश्त नहीं किया जाएगा”. पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की प्रमुख ने कहा, “वे हमारे धार्मिक नेताओं को परेशान कर रहे हैं, चाहे वह दाऊदी हो, वीरी, बरकती या मोहम्मद शफी. एनआईए ने कल रहमतुल्लाह (कासमी) को पूछताछ के लिए बुलाया था. यह हमारे धर्म पर सीधा हमला है. वे धर्म की स्वतंत्रता, देश के संविधान द्वारा प्रदत्त पहनने और खाने की पसंद की स्वतंत्रता पर हमला कर रहे हैं.” उन्होंने कहा, “यह बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, बहुत हो चुका. 2019 में उन्होंने हमारी अस्मिता और पहचान पर हमला किया लेकिन अब यह हमारे धर्म पर भी आ गया है.” इससे पहले दिन में विश्व भारती उच्चतर माध्यमिक स्कूल के प्रबंधन के खिलाफ छात्राओं ने प्रदर्शन किया. 


क्या है अबाया


आरोप है कि छात्राओं ने ‘अबाया’ पहना था इसलिए उन्हें स्कूल में प्रवेश करने से रोक दिया गया. ‘अबाया’ पूरी लंबाई वाली ढीली-ढाली पोशाक है जिसे मुस्लिम महिलाएं पहनती हैं. 


इसलिए किया मना


स्कूल के प्रधानाचार्य मेमरोज शफी ने कहा कि छात्राओं को कहा गया है कि वे घर से स्कूल तक अबाया पहन सकती हैं लेकिन स्कूल परिसर में उन्हें इसे उतारना होगा. उन्होंने कहा, ‘‘हमने उन्हें लंबा सफेद रंग का हिजाब पहनने या बड़ा दुपट्टा रखने के लिए कहा क्योंकि यह स्कूल की वर्दी का हिस्सा है. वे अलग-अलग डिजाइन वाले रंगबिरंगे अबाया पहनकर आ गईं जो स्कूल की वर्दी का हिस्सा नहीं है.’’


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NC ने दी प्रतिक्रिया


नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) के मुख्य प्रवक्ता तनवीर सादिक ने कहा कि मुस्लिम बहुल जम्मू कश्मीर में इस तरह की घटनाएं होना दुर्भाग्यपूर्ण है. सादिक ने ट्वीट किया, ‘‘हिजाब पहनना निजी चयन हो सकता है और धार्मिक परिधान के मामले में दखल नहीं देना चाहिए. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि मुस्लिम बहुल जम्मू कश्मीर में इस तरह की घटनाएं हो रही हैं.’’ 


लड़कियों को बुर्का पहनने का अधिकार


जम्मू-कश्मीर के मुफ्ती-ए-आजम नसीरुल इस्लाम ने कहा कि स्कूल ने स्पष्टीकरण जारी किया है. लड़कियों को अबाया पहनकर अपनी लज्जा की रक्षा करने का अधिकार है. इस्लाम ने कहा, “शिक्षण संस्थान की ओर से खंडन जारी किया गया है कि उन्होंने अबाया पर प्रतिबंध लगाने का कोई आदेश जारी नहीं किया है. स्कूल पहले केवल लड़कियों के लिए था, वह अब सह-शिक्षा विद्यालय बन गया है. इसलिए, लड़कियों को अपनी मर्यादा बनाए रखने के लिए बुर्का पहनने का पूरा अधिकार है.” 


अपने पसंद के कपड़े पनने के लिए आजाद


भाजपा महासचिव अशोक कौल ने कहा कि उनकी पार्टी ड्रेस कोड थोपे जाने के पक्ष में नहीं है. कौल ने कहा, “यह एक धार्मिक मुद्दा है. हम न तो इसके खिलाफ हैं और न ही इसके पक्ष में हैं. एक व्यक्ति जो चाहे पहनने के लिए स्वतंत्र है. अगर कोई साड़ी या सलवार पहनना चाहे तो उसमें कोई बाध्यता नहीं होनी चाहिए. हर व्यक्ति अपनी पसंद के कपड़े पहनने के लिए स्वतंत्र है.”


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