Abortion Law India: अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार के दिन अबॉर्शन को लेकर फैसला सुनाया. इस फैसले में साफ किया गया कि संविधान में महिलाओं को अबॉर्शन का अधिकार नहीं है. जिसके बाद इस मामले में कानून बनाने का अधिकार राज्य को चला जाता है और वह अपने हिसाब से गर्भपात को लेकर कानून बनाए. कोर्ट के इस फैसले का पूरी दुनिया में विरोध जारी है और कई दिग्गज इसकी आलोचना कर रहे हैं. ऐसे में आज हम आपको बताने वाले हैं कि गर्भपात को लेकर भारत में क्या कानून है.. तो चलिए जानते हैं.


भारत में अबॉर्शन कानून


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गर्भपात को लेकर दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग कानून है. भारत में अबॉर्शन कराने के लिए प्रग्नेंसी की तय सीमा दी गई है. अगर वह सीमा पार होती है तो गर्भपात कराना कानूनी अपराध माना जाएगा. आइये जानते हैं इस कानून के बारे में सब कुछ....


- गर्भपात कराने से पहले एक योग्य डॉक्टर की सलाह लेना बेहद ज़रूरी है. इसके बाद उसके प्रिस्क्रिप्शन के अनुसार ही गर्भपात कराया जाएगा.
- गर्भपात तभी हो सकता है जब भ्रूण 12 हफ्ते से ज्यादा का ना हो.
- खास मामलो में गर्भपात 24 हफ्तों के अंदर भी कराया जा सकता है जैसे महिला की जान को खतरा, मांसिक और शारीरिक कोई हानी पहुंचने का खतरा होना आदि.
- अगर 24 घंटे बीत जाने पर राज्य स्तरीय मेडिकल बोर्ड से मंजूरी लेनी ज़रूरी हो जाती है. जिसमें मेडिकल बोर्ड मेडिकल रिपोर्ट्स के आधार पर यह फैसला लेता है कि अबॉर्शन जरूरी है या नहीं.
- नाबालिग रेप पीड़िता के मामले में भी 24 हफ्तों के अंदर अबॉर्शन कराया जा सकता है.
- अधिकतम अबॉर्शन की सीमा 24 हफ्ते है जिसके लिए सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट की इजाजत लेना ज़रूरी है. यह गर्भपात खास मामलों में ही कराया जा सकता है.


ठोस वजह ना होने पर हो सकती है कार्रवाई


अगर ऊपर दिए गए कानून का पालन नहीं होता है तो गर्भपात कराने वाली महिला के साथ डॉक्टर भी अपराधी होगा और उसे आईपीसी की धारा 312 के तहत उन्हें सजा दी जाएगा. अपराध करने वाले को तीन साल सजा होगी, वहीं अगर महिला की इजाजत के बगैर गर्भपात कराया जाता है तो दोषी को 10 साल तक की सजा हो सकती है.


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