आदित्य एल1 मिशन: भारत का आदित्य-एल1 सैटेलाइट शनिवार यानी 6 जनवरी को अपनी तय कक्षा में पहुंच चुका है, जहां यह अगले पांच सालों तक रहेगा. यह सैटेलाइट सूर्य के बाहरी वातावरण को स्टडी  करेगा और सूर्य की गतिशीलता और पृथ्वी पर इसके प्रभावों को समझने के लिए डेटा एकत्र करेगा. आपको बता दें कि यह भारत का सबसे पहेला सोलर मिशन है जो 6 जनवरी शाम 4 बजे अपने तय ऑर्बिट पर लैंड करेगा.
इससे पहले, इसरो अध्यक्ष एस सोमनाथ ने न्यूज़ एजेंसी एएनआई को बताते हुए कहा था, "आदित्य-एल1 6 जनवरी को अपने एल1 बिंदु पर पहुंचने वाला है और हम इसे वहां बनाए रखने के लिए अंतिम युद्धाभ्यास( manoeuvre) करने जा रहे हैं.


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इस बीच आपको यह भी बता दें कि  2 सितंबर को श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया गया यह सैटेलाइट अगले पांच सालों तक इस स्थान पर रहने की उम्मीद है. आदित्य-एल1 जिस पॉइंट पर पहोंचने वाला है वह पृथ्वी से लगभग 1.5 मिलियन किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.  


क्या है लैंगरैंज प्वाइंट (एल1)?
लैंगरैंज प्वाइंट अंतरिक्ष में एक एसा पॉइंट है, जहां सूर्य और पृथ्वी के बीच का ग्रेविटेशनल फोर्स सबसे ज्यादा  संतुलित होता है. दरहसल यहां एक तरह  का न्यूट्रल पॉइंट विकसित हो जाता है, जहां अंतरिक्ष यान के ईंधन की सबसे कम खपत होती है. यह दूरी पृथ्वी-चंद्रमा की दूरी से चार गुना है, लेकिन सूर्य और पृथ्वी के बीच की दूरी का केवल 1% है. पृथ्वी-सूर्य की दूरी 15.1 करोड़ किलोमीटर है. इस स्थान का नाम लैंगरैंज प्वाइंट, फ्रेंच गणितज्ञ जोसेफ़ लुईस लैगरेंज, जिन्होंने इस बिंदु को 18वीं सदी में खोजा था के नाम पर रखा गया है.
इसरो के प्रमुख एस सोमनाथ ने मीडिया को बताते हुए कहा था कि एक बार जब यह सैटेलाइट एल1 बिंदु पर पहुंच जाएगा, तो वह उस  बिंदु के चारों ओर घूमेगा और L1 पर ही अटक जाएगा.


2023 सितम्बर में किया गया था इसे लॉन्च
मिशन मून की जीत के लगभग दस दिन बाद इसरो ने आदित्य एल1 लॉन्च किया था.  यह बेहद हेरान करने वाली बात थी कि इतने कम देश सूर्य के इतने करीब मिशन भेज पाए हैं, इस मिशन के महत्व को और भी बढ़ा बनती है. इसरो प्रमुख का  कहना था कि "जब यह एल1 बिंदु पर पहुंचेगा तो हमें इंजन को एक बार फिर से चालू करना होगा ताकि यह आगे न बढ़े." यह वहां यात्रा करेगा, उसके चारों ओर चक्कर लगाएगा और वहां पहुंचने के बाद एल1 पर रुकेगा.
इसरो अधिकारियों के अनुसार, सैटेलाइट का एल1 बिंदु पर होने का एक फायदा यह है कि सूर्य को हमेशा बिना किसी ग्रहण के देखा जा सकता है. इस मिशन पर सात पेलोड भेजे गये हैं जो अलग अलग वेव बैंड मैं सूर्य की बाहरी सरफेस क्रोमोस्फीयर और फ़ोटोस्फ़ेयर को स्टडी करेंगे


वैसे सूर्य की स्टडी करने वाला विश्व का पहला मिशन नहीं है. इससे पहले अमेरिका की नासा, रूस और यूरोप की स्पेस एजेंसी भी अपने सैटेलाइटस को सोलर पर  मिशन भेज चुके हैं.

प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट करके क्या कहा?
करीब 15 लाख किलोमीटर की यात्रा कर भारत का सोलर मिशन आदित्य एल1 शनिवार को लगभग चार महीने में अपनी तय कक्षा लैंगरैंज प्वाइंट पर पहुंच गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे ऐतिहासिक पल बताया है.
सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पीएम मोदी ट्वीट करते हुए  लिखा, "भारत का पहला सोलर ऑब्ज़र्वेटरी आदित्य-एल1 अपने लक्ष्य तक पहुंच गया है. यह दिखाता है कि कैसे हमारे वैज्ञानिकों के प्रयास मुश्किल और पेचीदा अंतरिक्ष अभियानों को हकीकत में बदल रहे हैं.मोदी लिखते हैं, "हम मानवता के हित के लिए विज्ञान की नई सीमाओं को आगे बढ़ाना जारी रखेंगे."