अजमेरः अफगानिस्तान के सफीर फरीद मामुन्दजई ने इतवार को दूतावास के कुछ अफसरान और मुलाजमीन के साथ अजमेर में वाके ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती की दरगाग की जियारत की. इस मौके पर दरगाह के गद्दीनशीं हाजी सैयद सलमान चिश्ती ने उनका खैरमकदम किया. यहां अफगानी राजदूत और उनके साथ आए डेलिगेशन ने भारत और अफगानिस्तान के बीच अच्छे ताल्लुकात और दोनों मुल्कों में अमन-शांति की दुआ मांगी.


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इस मौके पर फरीद मामुन्दजई ने कहा कि अफगानिस्तान के शहर हेरात और अजमेर के बीच ऐतिहासिक रिश्ते हैं. इन दोनों शहरों का यह जुड़ाव दोनों मुल्कों के ऐतिहासिक संबंधों को मजीद आगे बढ़ाएगा. गुजिश्ता 850 सालों से सूफिज्म ने दोनों देशों के बीच एक सांस्कृतिक ब्रिज के तौर पर आपस में एक दूसरे को जोड़े रखा है. फरीद ने कहा कि शांति और मजहबी रवादारी को बढ़ावा देने के लिए दोनों मुल्कों के बीच सूफीज्म का जुड़ाव काफी अहम रोल अदा करेगा.  



अफगानी राजदूत ने टिवटर पर शेयर की एक कविता 
अजमेर दरगाह की जियारत करने के बाद अफगानी राजदूत फरीद मामुन्दजई ने इंग्लिश में एक लंबा पोस्ट भी अपने टिवटर अकाउंट पर शेयर किया है. इस पोस्ट में उन्होंने लिखा है कि यहां आकर उन्होंने माजी को जिया है. उन्होंने राजस्थान को अदब, सकाफत, विरासत और आर्किटेक्चर की रियासत बताया है. साथ ही उन्होंने जानकारी दी है कि अगले माह दो सितंबर से 5 सितंबर तक इंडो-अफगान सांस्कृतिक सप्ताह मनाया जाएगा. इसमें दोनों मुल्कों की मजबूत सकाफती विरासत की झलक देखने को मिलेगी.   


बेहद सुकून देने वाला तजुर्बा 
जियारत के बाद फरीद ने कहा कि अजमेर दरगाह जाना हमेशा के लिए एक यादगार सफर रहेगा. उन्होंने कहा कि राजस्थान न सिर्फ सूफी औवलिया और महाराजाओं की जगह है बल्कि यहां कई तारीखी मजहबी विरासत मौजूद हैं, जिसे देखना और उन्हें महसूस करना एक बेहद सुकून देने वाला तजुर्बा है. अफगानी राजदूत के इस जियारत की तस्वीर दरगाव के इंतजामिया ने सोशल मीडिया पर शेयर किया और अफगनिस्तान के कई मीडिया समूहों ने भी इसे रिपोर्ट किया है.   


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