नए वायरस की दस्तक? रांची में 170 से ज्यादा सूअरों की मौत
रांची में डेढ़ सौ से ज्यादा सुअरों की अचानक मौत हो गई है. एक्सपर्ट्स के मुताबिक सुअरों की मौत की वजह अफ्रीकन स्वाइन फीवर हो सकती है. मरे हुए सुअरों के सैंपल जांच के लिए भेजे गए हैं.
रांची: रांची और आस-पास के इलाकों में पिछले 15 दिनों के अंदर 170 से ज्यादा सुअरों की मौत हो गई है. कयास लगाए जा रहे हैं कि बड़ी संख्या में सूअरों की मौत की वजह अफ्रीकन स्वाइन फीवर है.
जांच के लिए भेजे गए सेंपल
मृत सूअर के सैंपल जांच के लिए भोपाल और कोलकाता भेजे गये हैं. इस बीच राज्य के पशुपालन निदेशालय ने इसे लेकर राज्य भर में अलर्ट जारी किया है. कहा गया है कि अगर सुअरों में बीमारी के लक्षण दिखें तो उसे तुरंत आइसोलेट कर इसकी सूचना संबंधित विभाग को दी जाए. पशुपालक भी बीमारी फैलने की सूचना से आक्रांत हैं.
बड़ी तादाद में हुई सुअरों की मौत
रांची के कांके स्थित सूअर प्रजनन केंद्र में 26 जुलाई से लेकर 11 अगस्त तक सबसे ज्यादा 127 सूअरों की मौत हुई है. चान्हो, खलारी, कांके और मैकलुस्कीगंज में भी पशुपालकों ने 45 से ज्यादा सुअरों की मौत की सूचना दी है. रांची के अलावा किसी दूसरे जिले से अब तक ऐसी कोई सूचना नहीं है.
अफ्रीकन स्वाइन फ्रीवर हो सकती है मौत की वजह
पशुपालन निदेशक शशिरंजन झा ने कहा है कि "फिलहाल इसकी पुष्टि नहीं हुई है कि सूअरों की मौत की वजह अफ्रीकन स्वाइन फ्रीवर है या दूसरी बीमारी." भोपाल में मौजूद नेशनल इंस्टीट्यूट आफ हाई सिक्योरिटी एनिमल डिजीज में भेजे गये सैंपल की रिपोर्ट आने के बाद ही यह साफ हो पायेगा. सुअर पालकों के लिए एडवाइजरी जारी की गई है. उनसे कहा है कि अगर किसी सुअर ने खाना छोड़ दिया हो तो उसे समूह से निकालकर तत्काल आइसोलेट किया जाना चाहिए.
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वायरस से फैलती है बीमारी
कांके में मौजूद सुअर प्रजनन केंद्र में एक हजार से ज्यादा सूअर हैं. यहां 127 सूअरों की मौत के बाद स्वच्छता और सतर्कता के लिए कई तरह के प्रबंध किये जा रहे हैं. केंद्र के विशेषज्ञों के अनुसार, अफ्रीकन स्वाइन फीवर एक वायरल बीमारी है, जिसका असर जंगली और पालतू शूकरों में होता है. इस बीमारी में तेज बुखार के बाद दिमाग की नस फटने की वजह से सूअरों की मौत हो जाती है. यह रोग संपर्क में आने से एक से दूसरे शूअर में फैलता है. अगर किसी संक्रमित शूअर ने कुछ खाकर छोड़ दिया हो और उसे कोई दूसरा स्वस्थ शूअर खा लें तो भी ये रोग हो जाता है. उचित वैक्सीन न होने के चलते सतर्कता ही इस बीमारी से बचाव है.
इंसानों को नहीं है खतरा
इस संक्रमण से इंसानों को खतरा नहीं है मगर जो पशुपालक या कर्मचारी सुअर के संपर्क में आते हैं तो उससे दूसरे पशुओं में फैल सकता है. लोगों को सलाह दी गयी है कि सुअर के मांस के सेवन से बचें.
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