All Assam Students Union On CAA: अखिल असम छात्र संघ (AASU) के मुख्य सलाहकार समुज्जल भट्टाचार्य ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को अधिसूचित किए जाने के बाद आगामी दिनों में बड़े पैमाने पर एहतेजाज किया जाएगा. उन्होंने न्यूज एजेंसी से कहा कि "नागरिकता संशोधन कानून को केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित किए जाने के बाद अब हमने प्रत्येक जिलों में इसकी कॉपी जलाने का फैसला किया है. इसे लेकर आने वाले दिनों में राज्यभर में बड़े पैमाने पर अंहिसात्मक विरोध किया जाएगा. अखिल असम छात्र संघ समेत 30 और तंजीमों ने सीएए की मुखालेफत में पहले से ही 12 घंटे के भूख हड़ताल की अपील की है.


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समुज्जल भट्टाचार्य ने कहा, "CAA असम समेत पूर्वोत्तर भारत के लिए नाइंसाफी है और इसकी मुखालेफत में 2019 से लेकर अब तक असम और त्रिपुरा की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में 53 अर्जियां दाखिल हो चुकी हैं. उन्होंने आगे दावा किया कि  नागरिकता संशोधन कानून से मिजोरम, अरूणाचल प्रदेश, नागालैंड और मणिपुर को छूट प्रदान की गई है. इसके अलावा इस कानून में असम के तीन जिलों को शामिल नहीं किया गया और बाकी 5 जिलों को संविधान की छठी अनुसूची के तहत कवर किया गया है.


 


भट्टाचार्य ने कहा, "हमारा सबसे अहम सवाल यही है कि, सीएए से जब मिजोरम और अरूणाचल प्रदेश को नुकसान पहुंचेगा, तो इससे असम को कैसे फायदा पहुंच सकता है? अगर यह असम के कोकराझार और कार्बी आंगलोंग के लिए गलत है, तो यह नौगांव और कामरूप के लिए कैसे फायदेमंद है? हमें डंपिंग ग्राउंड के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए. उन्होंने आगे कहा कि, नॉर्थ-ईस्ट भारत देश के शेष भूभागों से इस लिहाज से अलग हो जाता है, क्योंकि यहां सबसे बड़ी तादाद में घुसपैठिए दाखिल हुए हैं. 1980 में असम में आंदोनल हुआ था, जिसके बाद असम सरकार ने एक मुआहिदे पर साइन किये थे, इसलिए हम सीएए की उस वक्त तक मुखालेफत करते रहेंगे, जब तक इसे वापस नहीं ले लिया जाता. इस बीच, असम के सीएम हिमंता बिस्वा शर्मा ने रविवार को कहा कि, जब से सीएए कानून बना है, तब से इसकी मुखालेफत करने की कोई वजह नजर नहीं आती है.