Assam: भू-कटाव रोकने के लिए सांसद मांग रहे थे अल्लाह से दुआ; लोग बोले- दुआ नहीं फंड दीजिये सरकार!
Assam: असम के धुबरी ज़िले से सांसद मौलाना बदरुद्दीन अजमल धुबरी के फ़क़ीरगंज पहुंचे. वहां पर लगातार हो रहे भू कटाव को रोकने के लिए स्थानीय लोगों के साथ मिलकर दुआ मांगी. इस दौरान उन्होंने सांसद कोटे से फंड भी जारी किया.
Maulana Badruddin Ajmal: असम के धुबरी ज़िले से सांसद मौलाना बदरुद्दीन अजमल धुबरी के फ़क़ीरगंज पहुंचे. वहां पर लगातार हो रहे भू कटाव को रोकने के लिए स्थानीय लोगों के साथ मिलकर दुआ मांगी कि संपूर्ण रूप से भू कटाव रुक जाए, ताकि लोगों को राहत मिले. साथ ही साथ उन्होंने अपने सांसद कोटे से 24.50 लाख की रक़म जारी की. इस मौक़े पर भू कटाव को रोकने के लिए एक आधारशिला रखी गई. पिछले कई बरसों से फ़क़ीरगंज के लोग ब्रह्मपुत्र नदी के भू कटाव से परेशान थे बाढ़ की वजह से भूखा गांव के लोगों के घरों के साथ-साथ स्कूल, क़ब्रिस्तान और मस्जिद भी नदी में समा गए.
भू कटाव रोकने के लिए सामूहिक दुआ
भू कटाव की वजह से परेशानी झेल रहे लोग बेहद मुश्किल वक़्त का सामना कर रहे थे. इसी दरमियान सांसद मौलाना बदरुद्दीन अजमल ने धुबरी ज़िले का दौरा किया और वहां भू कटाव रोकने के लिए सामूहिक दुआ की.साथ ही उन्होंने अपने सांसद फंड से भू कटाव रोकने के लिए आधारशिला भी रखी. इस काम के लिए स्थानीय लोगों ने मौलाना बदरुद्दीन अजमल की तारीफ़ की और उनके ज़रिए दी गई मदद को सराहा. मौलाना बदरुद्दीन अजमल ने कहा कि मैं आज यहां पर आया हूं और अपने एमपी फंड से भू कटाव को रोकने के लिए इस रक़म से आधारशिला रखी गई है.
बाढ़ से लाखों लोग हुए प्रभावित
कटाव को रोकने के लिए यहां पर एक सामूहिक दुआ मांगी गई, साथ ही वैज्ञानिक तरीक़े से भू कटाव को रोका जाएगा. स्थानीय पत्रकारों ने एमपी से सवाल किया कि क्या स्कूल और कॉलेज ख़तरे में हैं? तो इसके जवाब में मौलाना बदरुद्दीन अजमल ने कहा कि काम शुरू हो गया है और लगातार चलता रहेगा. उन्होंने कहा कि मैं सेंट्रल गवर्नमेंट से मज़ीद रक़म की मांग करूंगा ताकि भू कटाव का और काम चलता रहे. वहीं मक़ामी लोगों ने कहा कि भू कटाव रोकने के लिए इतनी कम रक़म नाकाफ़ी है. सांसद को सामूहिक दुआ के बजाए और फंड का इंतेज़ाम करने की ज़रूरत हैं. बता दें कि पिछले साल असम में बाढ़ से तक़रीबन 31 लाख से ज़्यादा लोग प्रभावित हुए थे. यहां बाढ़ और भू-कटाव के कारण लाखों परिवार अपनी ज़मीन गंवा चुके हैं. 1950 से पिछले साल पर असम में तक़रीबन 25 से ज़्यादा बार सैलाब आ चुके हैं.
Reporter: Sharifuddin Ahmed
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