Allahabad HC on Criminal Background Candidates: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राजनीति के अपराधीकरण को लेकर सख्त और कड़ी टिप्पणी की है. हाईकोर्ट ने कहा है कि, आपराधिक पृष्ठभूमि वाले लोग इंतेखाब के अमल को प्रदूषित करते हैं, लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए क्रिमिनल बैकग्राउंड के व्यक्ति का चुना जाना बेहद खतरनाक है. कोर्ट ने कहा कि अपराधिक व्यक्ति इलेक्शन जीतने के लिए समय-समय पर अपराधिक कृत्यों में भी शामिल होने से परहेज नहीं करता है. कोर्ट ने कहा कि, सियासत में अपराधिक पृष्ठभूमि के व्यक्तियों की बढ़ती तादाद लोकतंत्र की नींव को खतरे में डालती है. ऐसे व्यक्ति लीडर बनकर पूरी लोकतांत्रिक व्यवस्था का मजाक उड़ाते हैं.


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सियासी पार्टियों को दिखाया आईना
दरअसल, 27 अप्रैल को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पूर्वांचल के बाहुबली पूर्व सांसद धनंजय सिंह की क्रिमिनल अपील पर अपना फैसला सुनाया था, जिसमें हाईकोर्ट ने अपने 35 पन्नों के हुक्म में धनंजय सिंह की सजा के खिलाफ दाखिल अपील को खारिज कर दिया था. हालांकि अदालत ने मामले में धनंजय सिंह को जमानत पर रिहा जरूर किया, लेकिन सजा पर रोक लगाने से मना कर दिया. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने फैसले में अपराधिक पृष्ठिभूमि वाले व्यक्तियों के चुनावी मैदान में उतरने पर गंभीर तब्सिरा करके सियासी पार्टियों को आईना दिखाने का काम किया है.


सजा पर रोक लगाने से इनकार
गौरतलब है कि, बाहुबली पूर्व सांसद धनंजय सिंह को जौनपुर की MP-MLA कोर्ट ने नमामि गंगे के प्रोजेक्ट मैनेजर अभिनव सिंघल के अगवा मामले में 7 साल की सजा सुनाई है. सजा के चलते धनंजय सिंह किसी भी चुनाव की प्रक्रिया में हिस्सा नहीं ले सकते हैं. उन्होंने जौनपुर एमपी एमएलए कोर्ट के फैसले को इलाहाबाद हाईकोर्ट में क्रिमिनल अपील दाखिल कर चुनौती दी थी. धनंजय सिंह ने अपनी अपील में सजा को रद्द करने और जमानत पर रिहा करने का मुतालबा किया था, हालांकि कोर्ट ने धनंजय सिंह को जमानत जरूर दे दी, लेकिन सजा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया. जिसके चलते धनंजय सिंह सीधे तौर पर चुनावी मैदान में नहीं उतर सकते हैं.


Report By: Mohammad Gufran