AMU Minority Status: अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी पर कोर्ट फैसला सुना रहा है. इस दौरान कोर्ट ने कहा है कि अल्पसख्यकों के जरिए यूनिवर्सटी की स्थापना काफी नहीं है. बता दें कोर्ट यूनिवर्सिटी के माइनोरिटी स्टेटस को लेकर फैसला सुना रहा है. इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि आर्टिकिल 30 के तहत असीमित अधिकार हैं. कोर्ट ने साफ कर दिया है कि एएमयू की माइनोरिटी का दर्जा बरकरार रहेगा.


सीजेआई की सदारत में फैसला


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यह फैसला सीजेआई की सदारत में 7 जजों की बेंच ने सुनाया है. रिपोर्ट्स के मुताबिक फैसला 4-3 से रहा है. इस फैसले के बाद इलाहाबाद हाई कोर्ट का वह फैसला बदल गया है जिसमें कोर्ट ने कहा था कि एएमयू माइनोरिटी इंस्टीट्यूट नहीं है. बता दें, फिलहाल एएमयू का माइनोरिटी स्टेटस बरकरार रहेगा. इस इंस्टीट्यूट को माइनोरिटी स्टेटस दिया जाए या नहीं इस बात का फैसला बाद में तीन जजों की बेंच करेगी.


कोर्ट ने क्या कहा?


कोर्ट ने अपने फैसले में माना कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी एक माइनोरिटी इंस्टीट्यूट है. अदालत ने 4-3 से फैसला सुनाते हुए 1967 के उस फैसले को रद्द कर दिया है जो एएमयू को अल्पसंख्यक का दर्जा देने से इनकार को आधार बनाता है. कोर्ट ने कहा कि माइनोरिटी मानने के मानदंड क्या हैं? माइनोरिटी कैरेक्टर का उल्लंघन न करें. एजुकेशन इंस्टीट्यूट को रेग्युलेट किया जा सकता है. 


हालांकि फैसले में विकसित सिद्धांतों के आधार पर एएमयू के माइनोरिटी स्टेटस को नए सिरे से तय करने के काम को तीन जजों की बेंच पर छोड़ दिया है.


2006 के मामले में फैसला


चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ की सदारत वाली सात जजों की बेंच ने आठ दिनों की सुनवाई के बाद आज इस मामले में फैसला सुनाया है. टॉप कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के 2006 के फैसले पर फैसला सुनाया है, जिसमें कहा गया था कि यूनिवर्सिंटी एक माइनोरिटी संस्थान नहीं है.