नई दिल्ली: भारत की चुनिंद यूनिवर्सिटीज में शुमार की जाने वाली अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) के संस्थापक सर सैयद अहमद खां (Sir Sayed Ahmad Khan) आज ही के दिन इस दुनिया आए थे. उनका जन्म 17 अक्टूबर 1817 को दिल्ली में हुआ था. सर सैयद अहम खां के जन्मदिन को सर सैयद डे (Sir Sayed Day) के तौर पर मनाया जाता है. सर सैयद अहमद खां ने मुसलमानों की शिक्षित करने के लिए अनथक कोशिशें कीं. इसी की एक बड़ी मिसाल है अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU).


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AMU का इतिहास बेहद दिलचस्प है. इस इदारे का नाम भी पहले कुछ और था साथ ही यह इदारा पहले गैर मुस्लिम छात्रों के लिए नहीं था. बाद में जब नाम बदला तो दाखिला लेने के नियम भी बदल गए, जिसके बाद इस यूनिवर्सिटी में मुस्लिम छात्रों के साथ-साथ गैर मुस्लिमों को भी एंट्री मिल गई. बड़ी बात यह भी है कि इस यूनिवर्सिटी का पहला ग्रेजुएट छात्र भी गैर मुस्लिम ही था. इस यूनिवर्सिटी से ना जाने कितने साहित्यकार और महान हस्तियां भी पढ़कर निकलीं.


पहले इसका नाम मोहम्मडन एंग्लो ओरिएंटल (MAO) था, जिसे बाद में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) कर दिया गया था. 1877 में बने मोहम्मडन एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज को विघटित कर 1920 में ब्रिटिश सरकार की सेंट्रल लेजिस्लेटिव असेंबली के एक्ट के ज़रिए AMU एक्ट लाया गया. पार्लियामेंट ने 1951 में AMU संशोधन एक्ट पास किया, जिसके बाद इसके दरवाजे गैर-मुसलमानों के लिए भी खोले गए.


पहला ग्रेजुएट हिंदू छात्र
पहले तो यह इदारा सिर्फ मुस्लिम छात्रों के लिए ही था लेकिन बाद में इसके दरवाजे सभी धर्मों के लिए खोले गए. साल 1920 में एएमयू को सेंट्रल यूनिवर्सिटी का दर्जा दिया गया. यूनिवर्सिटी से कई अहम मुस्लिम नेताओं, उर्दू लेखकों और उपमहाद्वीप के विद्वानों ने ग्रेजुएट की डिग्री हासिल की. एएमयू से ग्रेजुएट करने वाले पहले शख्स भी हिंदू थे, जिनका नाम इश्वरी प्रसाद था.


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