Anandpal Encounter Case: एक बड़े घटनाक्रम में, सीबीआई अदालत ने राजस्थान के गैंगस्टर आनंदपाल सिंह के मुठभेड़ से जुड़े मामले में केंद्रीय जांच एजेंसी की क्लोजर रिपोर्ट को बुधवार को खारिज कर दिया. कोर्ट ने निर्देश दिया है कि इसमें शामिल पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या सहित अलग-अलग आरोपों के तहत मामला दर्ज किया जाए.


सीबीआई कोर्ट ने क्या कहा?


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

यह आदेश अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (एसीजेएम) युवराज सिंह ने आनंदपाल की पत्नी राज कंवर की याचिका पर पारित किया, जिसमें उन्होंने सेंट्रल इनवेस्टिगेशन ब्यूरो (सीबीआई) की क्लोजर रिपोर्ट के खिलाफ याचिका दायर की थी. 


पुलिसकर्मियों को दी गई थी क्लीन चिट


सीबीआई के जरिए दायर की गई याचिका में तत्कालीन चूरू एसपी राहुल बारहट, डीएसपी (कुचामन सिटी) विद्या प्रकाश, इंस्पेक्टर सूर्यवीर सिंह, हेड कांस्टेबल कैलाश चंद्र और सोहन सिंह, और कांस्टेबल धर्मपाल और धर्मवीर को क्लीन चिट दी गई थी.


कोर्ट ने क्या कहा?


न्यायाधीश ने फैसला सुनाया कि आरोपियों पर दंगा (आईपीसी की धारा 147 और 148), हत्या (302), खतरनाक हथियारों से अपने मरजी से गंभीर चोट पहुंचाने (324, 325, 326) के साथ धारा 149 (ग्रुप के जरिए किए गए अपराध के लिए व्यक्तियों को उत्तरदायी ठहराना) के तहत मामला दर्ज किया जाएगा.


क्या है आनंदपाल सिंह एनकाउंटर केस?


खूंखार गैंगस्टर आनंदपाल सिंह 24 जून 2017 को चूरू के मालासर गांव में पुलिस मुठभेड़ में मारा गया था. पुलिस टीम ने दावा किया कि जिस घर में वह छिपा था, उसे घेरने के बाद उन्होंने उसे आत्मसमर्पण करने के लिए कहा, लेकिन उसने गोलीबारी शुरू कर दी और जवाबी कार्रवाई में वह मारा गया.


वसुंधरा सरकार ने सीबीआई को सौंपा मामला


इस एनकाउंटर के बाद राजपूत समुदाय के जरिए बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया गया. आरोप लगाया गया कि एनकाउंटर में 'गड़बड़ी' है, राजस्थान सरकार, जिसका नेतृत्व तत्कालीन बीजेपी की वसुंधरा राजे सिंधिया कर रही थी, उन्होंने दिसंबर 2017 में मामला सीबीआई को सौंप दिया.


अगस्त 2019 में, एजेंसी ने अपनी जांच के जरिए से यह नतीजा निकालते हुए मामला बंद कर दिया कि मुठभेड़ 'फर्जी' नहीं थी. पिछले साल मई में, आनंदपाल परिवार ने मामले को बंद करने के खिलाफ अदालत का रुख किया.


"पुलिस ने करवाया सरेंडर फिर मारी गोली"


पत्नी के वकील ने कहा,"जब पुलिस घर पहुंची तो आनंदपाल छत पर मौजूद था. उन्होंने उसके भाई रूपेंद्र से कहा कि वह उसे सरेंडर करने के लिए मनाए और कहा कि वे आनंदपाल को नुकसान नहीं पहुंचाएंगे. उसने सरेंडर कर दिया, लेकिन पुलिस ने उसकी पिटाई की और नजदीक से गोली मार दी."


उन्होंने कहा, "आनंदपाल को जिस छत पर गोली मारी गई थी, वहां कारतूस मिले थे, जबकि पुलिस का दावा था कि उन्होंने जमीन से गोली चलाई थी, ऊपर नहीं गए थे. डीएसपी विद्या प्रकाश की मौके पर मौजूदगी का भी सीबीआई ने जिक्र नहीं किया है, हालांकि उनकी पिस्तौल का इस्तेमाल किया हुआ कारतूस छत पर मिला था."