विश्वनाथः असम के विश्वनाथ जिले में एक ‘धर्मोपदेशक’ (जमात) समेत 17 बांग्लादेशियों को वीजा नियमों की खिलाफवर्जी के इल्जाम में शनिवार को गिरफ्तार किया गया है. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने यह जानकारी दी है. उन्होंने बताया कि जिन लोगों को गिरफ्तार किया गया है, वे देश के अन्य हिस्सों में पूर्व में धार्मिक स्थलों की यात्रा कर चुके हैं. विश्वनाथ के पुलिस अधीक्षक नवीन सिंह ने बताया कि इन लोगों को जिले के बाघमारी इलाके से पकड़ा गया है. उन्होंने कहा कि ये लोग 13 सितंबर को पश्चिम बंगाल के कूचबिहार जिले से बस से विश्वनाथ आए थे. वे धर्म प्रचार कर रहे थे. एसपी ने कहा, ‘‘धर्मोपदेशक सैयद अशराफुल आलम इस ग्रुप की अगुवाई कर रहा था और अन्य उसके अनुयायी थे.’’ 

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पर्यटक वीजा पर आए थे जमात के लोग 
पुलिस अधीक्षक ने कहा, ‘‘धार्मिक उपदेशक बाघमारी के सुदूर क्षेत्रों में अपने संदेशों के प्रचार में लगा था. वह पहले ही 500 लोगों को अपना शिष्य बना चुका है.’’ उन्होंने कहा कि असम आने से पहले इस समूह ने अजमेर शरीफ जैसे धार्मिक स्थानों की भी यात्रा की थी. सिंह ने कहा, ‘’हमें सूचना मिली थी कि ये 17 लोग धार्मिक उपदेश जैसी गतिविधियों में लगे हैं, जबकि पर्यटक वीजा पर आने वाले विदेशियों को इसकी इजाजत नहीं दी जाती है. हमने सूचना का सत्यापन करने के बाद उन्हें गिरफ्तार किया है.’’ 

जन सुरक्षा कानून के तहत मौलवियों की गिरफ्तारी निंदनीय 
वहीं, जम्मू-कश्मीर में विभिन्न धार्मिक संगठनों के मोर्चा संगठन मुत्ताहिदा मजलिस-ए-उलेमा ने संघ शासित प्रदेश में जन सुरक्षा कानून के तहत विभिन्न मौलवियों के खिलाफ कार्रवाई की शनिवार को निंदा की है. एमएमयू ने एक बयान में कहा, ‘‘पिछले दो दिनों में कश्मीर में आधा दर्जन से ज्यादा मैलवियों की गिरफ्तारी और पीएसए के तहत उनके खिलाफ कार्रवाई निंदनीय कृत्य है.’’ एमएमयू ने इल्जाम लगाया है कि प्रशासन द्वारा यह कार्रवाई न सिर्फ ‘अन्यायपूर्ण है’’ बल्कि इससे लोगों में आक्रोश भी भड़क रहा है.


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