Assam News: असम सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है.  जादू-टोने से बीमारियों का इलाज करने वालों के खिलाफ बुधवार को विधान सभा में एक कानून प्रस्तावित किया है.  इस कानून का मकसद गैर-वैज्ञानिक इलाज पद्धतियों का उन्मूलन है. प्रस्तावित कानून में दुर्भावनापूर्ण इरादे वाले आदमियों द्वारा "जादू से इलाज" को मुजरिम घोषित करने का प्रावधान है, जिससे यह संज्ञेय ( Cognizable ) और गैर-जमानती अपराध बन जाएगा. इसमें दोषी पाए जाने वाले लोगों को पांच साल तक की कैद और एक लाख रुपये तक का जुर्माना होगा.


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असम के सीएम हिमंत विश्व शर्मा ( Himanta Biswa Sarma ) द्वारा संभाले जाने वाले गृह एवं राजनीतिक विभागों की तरफ से संसदीय कार्य मंत्री पीयूष हजारिका ( Piyush Hajarika ) ने सदन में 'असम जादू से उपचार (बुराई रोकथाम) प्रथा विधेयक, 2024' पेश किया. इस कानून का मकसद समाज में सामाजिक जागृति लाना और भयावह प्रथाओं से लोगों की स्वास्थ्य की रक्षा के लिए  हेल्थ, साइंस पर आधारित सुरक्षित वातावरण बनाना है.


विधान के 'मकसदों और कारणों के विवरण' के मुताबिक, कोई भी आदमी किसी व्यक्ति की बीमारी, विकार या स्वास्थ्य से जुड़े किसी भी दिक्कत को ठीक करने के लिए जादुई इलाज के प्रसार प्रचार में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से शामिल नहीं होगा. इसमें किसी भी व्यक्ति के जादू के जरिए इलाज से बीमारियों को ठीक करने का कोई झूठा दावा करने से जुड़े कोई भी विज्ञापन देने पर रोक का भी प्रावधान है. इसका मकसद और कारणों में कहा गया है, "आम लोगों का शोषण करने के भयावह इरादे से किसी भी व्यक्ति द्वारा जादु से इलाज की बुरी प्रथा उक्त बिल के तहत एक संज्ञेय और गैर-जमानती अपराध है."


सतर्कता अफसर इस मामले की करेंगे जांच
कानून में कहा गया है कि पहली बार दोषी पाए जाने पर सजा एक साल की होगी जिसे तीन साल तक बढ़ाया जा सकता है, या 50,000 रुपये का जुर्माना या दोनों हो सकती है. इसमें कहा गया है कि इसके बाद दोषी पाए जाने पर आदमी को 5 साल तक की कैद या एक लाख रुपये का जुर्माना या दोनों हो सकती है. बिल के मुताबकि सतर्कता अफसरों को जादू से इलाज की जांच करने का काम सौंपा जाएगा. इसमें कहा गया है ऐसे अफसरों का पद उप-निरीक्षक से नीचे नहीं होगा.