गुवाहाटीः गुवाहाटी से महज कुछ किलोमीटर की दूरी पर असम का कामरूप मेट्रो इलाका है. यहां के सोनापुर के डमरा पठार पर बसी मुस्लिम और कुछ जनजाति आबादी के लोग एक नई मुसीबत का सामना कर खौफजदा हैं. ये नई मुसीबत कोई प्राकृतिक या आर्थिक किस्म की नहीं है, बल्कि पूरी तरह राजनीति से प्रेरित है. असम सरकार ने इस इलाके में रहने वाली आबादी के पुणर्वास के बिना ही डमरा पठार को डंपिंग ग्राउंड बनाने का ऐलान कर दिया है. सरकार से नाराज इलाके के लोगों ने स्थानीय अफसरों को इसके विरोध में एक मेमोरेंडम दिया और सरकार द्वारा उनकी मांगें न माने जाने पर आंदोलन की धमकी दी है.

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बायोगैस संयत्र के नाम पर फेका जा रहा शहरभर का कचरा 
इलाके के स्थानीय निवासी नजरुल इस्लाम ने कहा कि पिछले कुछ दिन पहले डमरा पठार इलाके में एक सभा की गई थी. इस सभा में असम के मुख्यमंत्री हेमंत विश्व शर्मा भी आए थे. उन्होंने यहां पर किसी चीज की आधारशीला रखी थी और अपने भाषण में कहा था कि यहां पर एक बायोगैस संयत्र की स्थापना की जाएगी. शर्मा ने यह भी कहा था कि गुवाहाटी के जितने कचरे और खराब चीज है, वहां यहां पर डंप किए जाएंगे.



रोजगार और जमीने छिन जाने का खतरा 
इस इलाके में कुल 1 लाख लोगों की आबादी रहती है, जो इस डंपिंग ग्राउंड से प्रभावित होगी. इस आबादी में लगभग 40 फीसदी मुस्लिम आबादी है, और बाकी जो 60 परसेंट है उसमें आदिवासी, बोडो और असमिया हिंदू और अन्य समुदाय के लोग रहते हैं. यह इलाका पहले से ट्राईबल बेल्ट घोषित है. खास बात यह है कि यहां पर ज्यादातर लोग खेती कर अपना गुजारा करते हैं. उनकी चिंता है कि अगर डंपिंग ग्राउंड यहां बन जाता है कि उसके असर से उनकी खेती पर भी बुरा असर पड़ेगा. कचरे के कारण उनकी आसपास की जमीने बंजर हो जाएंगी और उनकी जमीने छिन जाने का भी डर है. 

बुल्डोजर के विकल्प के तौर पर डंपिंग ग्राउंड का इस्तेमाल कर रही सरकार 
इलाके के लोगों का कहना है कि यहां बसे अधिकतर लोगों के पास या तो अपनी जमीन है, या फिर उनके पास जमीन का पट्टा है. लेकिन सरकार उन्हें उजाड़ना चाहती है. हाल के दिनों में असम के कई इलाकों में सरकारी भूमि खाली कराने के नाम पर गरीब मुसलमानों और जनजातीय लोगों के घरों में बुल्डोजर चलाया है. इससे देशभर में राज्य सरकार की किरकिरी हुई है. इसलिए सरकार बुल्डोजर से घर न गिराकर दूसरे तरीके से उनका घर-बार और जमीन छीनना चाह रही है. अगर यहां डंपिंग ग्राउंड बनता है, तो बदबू के कारण यहां के लोग खुद अपना घर छोड़कर भागने के लिए मजबूर हो जाएंगे.

जानबूझ कर इलाके को टारगेट कर रही सरकार 
स्थानीय लोगों का कहना है कि डंपिंग ग्राउंड होने की वजह से पहले से ही समस्याओं से ग्रस्त उनकी जीवन और दूभर हो जाएगा. उनका कहना हैं कि सरकार आखिर आबादी में ही डंपिंग ग्राउंड क्यों बनाना चाह रही है. गुवाहाटी के आस-पास बहुत सारी ऐसी जगहें खाली हैं, जहां शहर का कचरा फेंका जा सकता है, लेकिन सरकार इसके लिए आबादी वाले इलाके को ही टारगेट कर रही है. सरकार ने इलाके के लोगों से न तो इस विषय पर कोई चर्चा की और न ही ऐसा फैसला लेने के पहले यहां के लोगों के पुनर्वास का कोई इंतेजाम किया है. 

मांगे न माने जाने पर आंदोलन की चेतावनी 
स्थानीय लोगों ने कहा कि हमने इस मसले पर सोनापुर सर्कल ऑफिसर को एक मेमोरेंडम दिया है. उस मेमोरेंडम को सोनापुर सर्कल ऑफिसर के जरिए डीसी तक पहुंचाकर जल्द से जल्द कार्रवाई कर इस डंपिंग ग्राउंड को यहां से हटाने की मांग की है. अगर यह डंपिंग ग्राउंड नहीं हटा तो आने वाले दिनों में हम यहां पर जोरदार प्रदर्शन करेंगे और इसका पूरी जिम्मेदारी सरकार की होगी. असम संग्रामी छात्र संस्था के नेता अख्तर हुसैन ने कहा कि अभी जो कचरा फेंका जा रहा है, उससे यहां बदबू फैल रही है. रमजान के दिनों में स्थानीय लोगों का यहां रहना दूभर हो रहा है. पास में एक मस्जिद तक कचरे का बदबू आ रहा है. सरकार अगर हमारी मांगे नहीं मानेगी तो हम आंदोलन करेंगे. 


गुवाहाटी से शरीफ उद्दीन अहमद की ग्राउंड रिपोर्ट 


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