गुवाहाटी / शरीफ उद्दीन अहमद:  हिंदुस्तानी तहजीब और सकाफत को गंगा-जमुनी तहजीब यूं ही नहीं कहते हैं. अगर इसकी मिसाल आपको देखनी हो तो आप एक बार असम के विश्वनाथ जिले के उत्तर चार आली चले जाइये. यहां हिंदू और मुस्लिम एकता की नायाब मिसाल देखने को मिल जाएगी. विश्वनाथ जिले के उत्तर चार अली में हर साल रास महोत्सव मनाया जाता है. इस दौरान वहां के मुस्लिम समुदाय के लोग भी बढ़-चढ़कर इस रास महोत्सव में हिस्सा लेते हैं. नवंबर महीने में मनाए जाने वाले इस खास त्यौहार रास महोत्सव में रास लीला खेली जाती है. रास लीला में भगवान कृष्ण के लीला का नाट्य मंचन किया जाता है. 

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

अमिर और बेगम निभाते हैं नंद और यशोदा का किरदार 
इस रास महोत्सव की खास बात यह है कि इसमें कृष्ण लीला के नाटक में कृष्ण के माता और पिता का किरदार एक मुस्लिम परिवार निभाता है. इस मुस्लिम परिवार के सदस्य का नाम है, आमिर खान और उनकी बीवी जूनमनी बेगम. मुस्लिम होने के बावजूद यह दंपति रास महोत्सव में कृष्ण के पिता और माता यानी नंद और यशोदा का अभिनय इस परफेक्शन के साथ निभाते हैं कि लोगों के लिए यह यकीन करना मुश्किल हो जाता है कि सामने वाला कलाकार कोई हिंदू नहीं बल्कि एक मुसलमान है.

हमारी अदाकारी देखने दूर-दूर से आते हैं लोग  
आमिर खान और जुनमोनी कहते हैं, ’’हम दोनों कई साल पहले से ही कृष्ण महोत्सव में रास लीला का अभिनय करते आ रहे हैं. यहां के हिंदू लोग हमारी अदाकारी देखने के लिए बड़ी दूर-दूर से यहां आते हैं. वह हमें उत्साहित करते हैं.’’ हमारा यह कहना है कि हम लोग पहले हिंदुस्तानी हैं, और उसके बाद में अपने धर्म के फॉलाअर्स. हिंदुस्तान का मतलब यह है कि हम लोग सभी एक साथ मिलजुल कर भाईचारे को कायम रखें. कुछ कुछ लोग मुल्क में अशांति फैलाने के लिए हिंदू-मुस्लिम की सियासत करते हैं, इसे हम गलत मानते हैं. 

हमें ऐसा करके खुशी मिलती है 
आमिर खान और जुनमोनी ने बताया कि हमारे यहां के हिंदू भाई हमारे घर में एक महीने पहले से ही पहुंच जाते हैं. वह हमें  भगवान कृष्ण के माता और पिता का रोल अदा करने के लिए तैयार करते हैं. हिंदू भाई मुझे मुस्लिम होने के बावजूद भी भगवान कृष्ण के माता और पिता का अभिनय करने के लिए कहते हैं, तो हमें बहुत खुशी होती है. 


Zee Salaam