कोलकाताः पश्चिम बंगाल के स्कूल में शिक्षकों की भर्ती में हुए घोटाले के कारण टीचर बनने का मौका गंवाने वाली एक लड़की बबीता सरकार ने सालों बाद अपना हक हासिल कर लिया है. उसने अपने स्थान पर एक कद्दावर मंत्री की बेटी की नियुक्ति को चुनौती देकर उसे नौकरी से बेदखल कर खुद की नियुक्ति का रास्ता हमवार कर लिया है. यहां तक कि मुकदमा जीतने वाली लड़की ने मुआवजे में मिलने वाली रकम भी खुद लेने के बजाए उसे दान करने की बात कहकर लोगों का दिल जीत लिया है.  
इस बीच, सोशल मीडिया पर लोग बबीता सरकार की तारीफ में कसीदे गढ़ रहे हैं. उनके जज्बे की प्रशंसा करने वाले दावा कर रहे हैं कि उन्होंने नाइंसाफी स्वीकार करने के बजाए संघर्ष कर एक मिसाल कायम किया है. बबीता सरकार के साथ ही लोग सोशल मीडिया पर कलकत्ता हाईकोर्ट के जज जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय की तारीफ कर रहे हैं, जिन्होंने इस मामले में अपना फैसला सुनाया है. 

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धर्मार्थ कार्यों के लिए दान करेंगी मुआवजे में मिला पैसा 
पश्चिम बंगाल में एक मंत्री की बेटी द्वारा अवैध रूप से हासिल की गई नौकरी से उसे बेदखल कर उच्च माध्यमिक स्कूल में राजनीति विज्ञान की टीचर के तौर पर नियुक्त पाने वाली बबीता सरकार ने अपने मुआवजे की रकम को धर्मार्थ कार्यों के लिए दान करने की तमन्ना जाहिर की है. 
अदालत के हुक्म के मुताबिक, बबीता सरकार की जगह मंत्री की बेटी अंकिता अधिकारी को स्कूल में जो वेतन के तौर पर रकम मिली  थी, उसे मुआवजे के रूप में बबीता को देनी होगी. लेकिन बबीता सरकार ने उस पैसे को जाती मफाद के लिए खर्च नहीं करना चाहती हैं, क्योंकि उन्होंने स्कूल में अपनी सेवाओं के लिए इसे हासिल नहीं किया है. यही वजह है कि वह उस रकम को अपने पास रखने के बजाय इसे किसी मजहबी काम के लिए देना चाहती हैं. 

खाली हुए पद पर बबीता सरकार को नियुक्ति मिलेगी
कलकत्ता हाईकोर्ट के हुक्म के मुताबिक, पश्चिम बंगाल के शिक्षा राज्य मंत्री परेश चंद्र अधिकारी की बेटी अंकिता अधिकारी को दो किश्तों में कूचबिहार जिले के स्कूल से हासिल पूरे वेतन की अदायगी करनी है. अंकिता ने कलकत्ता हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार को अपनी पहली किस्त का भुगतान लगभग 8,00,000 रुपये कर दिया है, जिसे अगले महीने तक बबीता सरकार को जमा किया जाना है. कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश के मुताबिक, अंकिता अधिकारी की बर्खास्तगी के कारण कूचबिहार जिले के इंडिया गर्ल्स हाई स्कूल में खाली हुए पद पर बबिता सरकार को नियुक्ति मिलेगी. संयोग से अंकिता ने अपनी शिक्षा उसी स्कूल से पूरी की थी.


क्या है पूरा मामला 
पश्चिम ंबाल में उच्च माध्यमिक स्कूल में राजनीति विज्ञान के शिक्षक भर्ती में बबीता सरकार ने नौकरी के लिए आवेदन किया था. उसने इंटरव्यू दिया था, जिसमें उसका नाम वेटिंग सूची में 20 वें नंबर पर दिखाया गया था. बाद में उसे पता चला कि उसका नाम 21वें स्थान पर कर दिया गया है और 20वें स्थान पर अंकिता अधिकारी नाम की एक लड़की वेटिंग लिस्ट में नाम है. बाद में मालूम हुआ कि वह लड़की राज्य के एक मंत्री परेश चंद्र अधिकारी की बेटी है. अंकिता ने इस नौकरी के लिए कोई इंटरव्यू भी फेस नहीं किया था और उसके मार्क्स सिर्फ 61 थे जबकि बबीता के मार्क्स 77 फीसदी थे. इस भर्ती में घोटाले की बू आने के बाद बबीता ने कई मंत्रियों से इसकी शिकायत की लेकिन इसका कहीं कोई हल नहीं निकला. बाद में बबीता ने आरटीआई कानून से जानकारी लेकर मामले को कोलकाता हाईकोर्ट ले गईं, जहां से उन्हें इंसाफ मिला. मंत्री की बेटी को हटाकर बबीता को नियुक्त करने का आदेश दिया गया.


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