Barabanki Old Age Home: कहते हैं माता-पिता धरती पर भगवान का दूसरा रूप होते हैं लेकिन कुछ औलादें अपने इन भगवान को दर-दर की ठोकरें खाने के लिये बेसहारा छोड़ देती हैं, हालांकि समाज का एक तबक़ा ऐसा भी है जो इन्हें सहारा देता है. यूपी के बाराबंकी में भी एक ऐसा ही नज़ारा देखने को मिला, जहां बेसहारा वृद्धों के लिए एक ऐसा आश्रम समाज के द्वारा चलाया जाता है जो परिवार से पीड़ित या निराश्रित लोगों की सेवा करता है. ऐसे ही एक आश्रम में मुस्लिम समाज से जुड़े समाजसेवियों और डाक्टरों ने मेडिकल कैंप लगाकर उनका हेल्थ चेकअप किया और उन्हें दवाओं के साथ-साथ ज़रूरत की दूसरी चीजें भी दान कीं.


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वृद्धों के स्वास्थ्य की जांच
बाराबंकी जनपद के सफ़ेदाबाद इलाक़े के भुहरा गांव में स्थित यह आश्रम उन वृद्धों के लिए है जो परिवार से ठुकराए हुए हैं. इस आश्रम का संचालन उत्तर प्रदेश माता पिता एवं वरिष्ठ नागरिकों का भरण पोषण कल्याण नियमावली-2014 योजना के अंतर्गत किया जाता हैं. इसमें कुल 106 लोग रहते हैं. जिनमें से कुछ ऐसे वृद्ध हैं जो परिवार से पीड़ित हैं. कुछ ऐसे लोग हैं, जिनका परिवार नहीं है और निराश्रित हैं और वह अपनी सेवा ख़ुद नहीं कर सकते. ऐसे लोगों की यहां निःस्वार्थ भाव से सेवा की जाती है. इस आश्रम में मुस्लिम समाजसेवियों ने मेडिकल कैंप लगाकर वृद्धों के स्वास्थ्य की जांच की और उन्हें दवाओं के साथ-साथ ज़रूरत की दूसरी चीज़ें भी दान कीं.



'बेसहारा लोगों की ख़िदमत करना बड़ा सवाब"
इस मौक़े पर मुस्लिम समाजसेवी अब्दुल क़ादिर नोमानी बताया कि मुस्लिम समाज में वृद्धाश्रम का कोई कंसेप्ट नहीं हैं और हर औलाद पर अपने मां-बाप की ख़िदमत करना फर्ज़ हैं. समाज सेवी ने कहा कि ऐसे लोगों की सेवा करना बेहद पुण्य का काम है. उन्होंने बताया कि इन वृद्धों को दवाएं, बीपी मशीन, शुगर मशीन, ऑक्सीमीटर, ब्रीथ एनालाइज़र, थर्मामीटर, गर्म बॉटल और कंबल समेत दूसरी ज़रूरतों का सामान दिया गया.उन्हें इनकी सेवा करके काफी आनंद मिलता है. इससे उन्हें सुकून भी मिलता है. इस दौरान वृद्धों ने अपना भी दर्द बयां किया और अपनी मजबूरी बताई.


REPORT: NITIN SRIVASTVA


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