Bihar Hooch Tragedy: बिहार के सराण और सिवान जिले के कई गावों में मातम पसरा हुआ है.  इन जिलों में जहरीली शराब का कहर जारी है.  ताजा मामला गोपालगंज जिले का है जहरीली शराब पीने से दो और लोगों की मौत हो गई, जिससे शराबबंदी वाले बिहार में जहरीली शराब त्रासदी में मरने वालों की तादाद बढ़कर 37 हो गई. 


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इस बारे में एक अफसर ने जानकारी देते हुए बताया कि ताजा मौतें गोपालगंज जिले के बैकुंठपुर से हुई हैं. गोपालगंज जिला सीवान और सारण जिले से सटा हुआ है. डीआईजी नीलेश कुमार ने बताया, "जहां तक ​​सीवान और सारण में मरने वालों की संख्या का सवाल है, यह 35 है. इसमें और वृद्धि नहीं हुई है. अब सारण रेंज के अंतर्गत आने वाले सभी तीन जिलों में कुल मरने वालों की संख्या 37 है."


 बता दें, पिछले दिनों जहरीली शराब पीने से सीवान जिले के मगहर और औरिया पंचायत में 28 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि सारण जिले के मशरख थाना क्षेत्र के इब्राहिमपुर में सात लोगों की मौत की पुष्टि हुई थी. जबकि इन दोनों जिलों के 25 से ज्यादा लोग अभी भी सीवान, सारण और पटना जिलों के अलग-अलग अस्पतालों में अपने जीवन के लिए संघर्ष कर रहे हैं.


ताजा मामले में डीआइजी ने कहा कि दोनों शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है और रिपोर्ट मिलने के बाद ही मौत का सही कारण पता चल सकेगा. वहीं, इस घटना के बाद विपक्षी राजद ने 2016 में नीतीश कुमार सरकार द्वारा लगाए गए शराब की बिक्री और खपत पर पूर्ण प्रतिबंध पर सवाल उठाया है.


नीतीश पर विपक्ष का हमला
विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार पर आरोप लगाया, "शराबबंदी बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली सरकार का सबसे बड़ा भ्रष्टाचार है. बिहार में शराब (बंदी) के नाम पर अवैध कारोबार के रूप में करीब 30,000 करोड़ रुपये की समानांतर अर्थव्यवस्था चल रही है, जिसका सीधा फायदा जेडी (यू) पार्टी और उसके नेताओं के पास जा रहे हैं."



शराबबंदी के बाद भी बिहार में महाराष्ट्र से ज्यादा शराब की खपत 
उन्होंने सोशल मीडिया हैंडल "एक्स" पर एक पोस्ट में कहा "सीएम ने यह सुनिश्चित करने के लिए हर उपाय किया कि सूखे बिहार में शराब की खपत बढ़े. राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) की रिपोर्ट के मुताबिक, बिहार में शराबबंदी के बावजूद, महाराष्ट्र की तुलना में बिहार में ज्यादा लोग शराब पीते हैं. मौजूदा वक्त में 15.5 फीसदी बिहार में लोग शराब का सेवन करते हैं. इसकी तुलना में, महाराष्ट्र में, जहां कोई शराबबंदी नहीं है, शराब पीने वाले लोगों का प्रतिशत सिर्फ 13.9 प्रतिशत है."


 400 से ज्यादा लोगों की रोजाना गिरफ्तारी होती है: तेजस्वी
बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम ने कहा कि राज्य में हर दिन शराब से संबंधित मामलों में 400 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया जाता है और करीब 6,600 छापे मारे जाते हैं. राजद नेता ने कहा, "इसका मतलब है कि हर घंटे औसतन 275 छापेमारी की जाती है. इससे साफ होता है कि बिहार पुलिस और निषेध विभाग हर महीने करीब 2 लाख जगहों पर और हर साल 24 लाख स्थानों पर छापेमारी करती है, लेकिन इसके बाद भी अवैध शराब का कारोबार बदस्तूर जारी है."