Bihar: NIA कोर्ट ने तीन माओवादियों को ठहराया दोषी, 11 साल पहले इस मामले में हुई थी गिरफ्तारी
Bihar News: पुलिस तीनों मुजरिमों को छापेमारी के दौरान साल 2012 में गिरफ्तार किया था. वहीं इस केस को NIA ने साल 2013 के मार्च महीने में अपने हाथ में ले लिया था. छापेमारी के दौरान पुलिस ने भारी मात्रा में गोला बारूद बरमाद भी किए थे.
बिहार: पटना की एक स्पेशल कोर्ट ने 1 दिसंबर को बिहार के औरंगाबाद जिले के एक दशक से ज्यादा पुराने मामले में तीन लोगों को मुजरिम करार दिया है. तीनों लोग माओवादी संगठन के हैं और सभी के ऊपर हथियार और गोला-बारूद की जब्ती का मामला दर्ज था. लेकिन कोर्ट तीनों मुजरिमों को चार दिसंबर को सजा सुनाएगी. इसकी जानकारी NIA ने दी.
मुजरिमों के नाम उदित नारायण सिंह उर्फ तुलसी उर्फ तूफान, अखिलेश सिंह उर्फ मनोज सिंह और अर्जुनजी उर्फ मणि यादव हैं.
NIA के एक नुमाईंदे ने कहा, "स्पेशल कोर्ट ने उन्हें साल 2012 में बैन सीपीआई (माओवादी) द्वारा आतंकवादी हमलों में उपयोग के लिए इंप्रोवाइस्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईईडी) और बम बनाने के मकसद से निषिद्ध और गैर-निषिद्ध हथियारों और गोला-बारूद के साथ-साथ रसायन रखने के लिए मुजरिम ठहराया".
तीनों मुजरिम CPI (माओवादी) के एक्टिव मेंबर
अफसरों ने कहा कि तीनों मुजरिम CPI (माओवादी) के एक्टिव मेंबर रहे हैं और तीनों को आतंकवादी एक्टिविटीज को अंजाम देने के लिए ‘लेवी’ के रूप में इकट्ठा की गई नकदी को रखने के लिए भी मुजरिम पाया गया.
छापेमारी में हुई थी तीनों की गिरफ्तारी
बता दें कि औरंगाबाद पुलिस ने 26 मार्च, 2012 को यह मामला दर्ज किया था. इसके एक दिन पहले पुलिस ने तीनों के घरों पर छापेमारी की थी. छापेमारी के दौरान पुलिस ने बैन हथियार, मैगजीन, ग्रेनेड, रसायनिक पदार्थ, एक बोलेरो, मोबाइल, 3.34 लाख रुपये नकद, माओवादी साहित्य, भारी संख्यां में गोला-बारूद और कई आपत्तिजनक दस्तावेज जब्त किए थे.
वहीं, अफसरों ने बताया कि छापेमारी के दौरान ही तीनों को गिरफ्तार किया गया था. जबकि इसके बाद NIA ने इस मामले को साल 2013 के मार्च महीने में अपने हाथ में ले लिया था.