Kudhani By election in Bihar: बिहार में जदयू और भाजपा का गठबंधन टूटने के लगभग चार माह बाद दोनों पार्टियां कुढनी विधानसभा सीट पर उपचुनाव में आमने-सामने होंगे. इस सीट पर पांच दिसंबर को उपचुनाव होने हैं. यह उपचुनाव, मौजूदा विधायक अनिल कुमार सहनी की सदस्यता खत्म होने की वजह से हो रहा है. सहनी राजद के टिकट पर 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में यहां से विधायक चुने गए थे. हालांकि इससे पहले वह जदयू के कोटे से राज्यसभा सांसद थे और जदयू छोड़कर राजद में आए थे. 
कुढ़नी उपचुनाव में कुल 13 उम्मीदवार चुनावी मैदान में डटे हैं, लेकिन सीधा मुकाबला मुख्य रूप से जद (यू) के मनोज सिंह कुशवाहा और भाजपा के केदार प्रसाद गुप्ता के बीच है. खास बात यह है कि दोनों नेताओं ने अतीत में अपनी-अपनी पार्टियों के लिए यह सीट जीती है. जदयू इस वक्त महागठबंधन का हिस्सा है और कुढनी सीट उपचुनाव में जदयू के उम्मीदवार को उतारा गया है. 

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नीतीश का जनाधार खत्म हो चुका है और राजद घुटने टेक चुकी हैः भाजपा 
अपनी जीत को लेकर भाजपा विधायक जिबेश कुमार मिश्रा ने कहा, “मोकामा और गोपालगंज में हाल के उपचुनावों ने एक बात साफ कर दी है कि नीतीश कुमार का अब बिहार में कोई जनाधार नहीं रह गया है. उनकी पार्टी का समर्थन राजद को किसी भी सीट पर मदद नहीं कर सका.” भाजपा मोकामा में राजद की जीत के अंतर को कम करने और गोपालगंज सीट को बरकरार रखने में कामयाब रही है. मिश्रा ने कहा, ’’हमे हैरत है कि लालू प्रसाद जैसे दिग्गज ने घुटने टेक दिए हैं, और कुढ़नी सीट जो पूर्व में राजद के पास थी, जद(यू) के लिए लिए छोड़ दिया है.  

भाजपा असुरक्षा बोध से ग्रस्त हैः जदयू 
वहीं, दूसरी जानिब कुढनी में ताबड़तोड़ प्रचार कर रहे जद (यू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ​​​ललन सिंह ने दावा किया है कि भाजपा जो बिहार में गिरावट पर है, अपने भरोसेमंद लोगों का समर्थन खो चुकी है. ललन ने कहा कि भाजपा की असुरक्षा इस तथ्य से साफ है कि उसे अपनी बी-टीम, असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम को कुढनी में उतारना पड़ रहा है.
उल्लेखनीय है कि एआईएमआईएम को गोपालगंज में राजद की हार के लिए जिम्मदार ठहराया गया था, जहां ओवैसी की पार्टी को मिले वोटों की तादाद भाजपा उम्मीदवार की जीत के अंतर से कहीं ज्यादा थी.


 


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