Mukhtar Abbas Naqvi: उत्तर प्रदेश के मुज़फ्फर नगर में कांवर यात्रा के पहले मुस्लिम दुकानदारों को अपनी दुकानों पर अपना नाम लिखने का आदेश देने का मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है. इस मामले में पहली बार भाजपा नेता और पार्टी प्रवक्ता मुख्तार अब्बास नकवी ने भी पार्टी लाइन से बाहर जाकर इस मुद्दे पर अपना मुंह खोला है. नकवी ने कहा कि  कुछ अति-उत्साही अधिकारियों के आदेश हड़बड़ी में गडबड़ी वाली है. ऐसे देश अस्पृश्यता की बीमारी को बढ़ावा दे सकते हैं. आस्था का सम्मान होना ही चाहिए, पर अस्पृश्यता का संरक्षण नहीं होना चाहिए.. उन्होंने आगे कहा, "जनम जात मत पूछिए, का जात अरु पात. रैदास पूत सब प्रभु के,कोए नहिं जात कुजात.
ऐसा पहली बार है जब नकवी किसी सरकार/ प्रशासन के किसी  हिन्दू- मुस्लिम मुद्दे पर खुलकर बोला हो और इस तरह के फैसले का विरोध किया हो. 


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इससे पहले AIMIM सद्र ने भी इस तरह के आदेश को संविधान की धारा 17 के खिलाफ बताया है, और इसे देश में छूआछूत के बढ़ने की आशंका जताई है. 


वहीँ केंद्र में भाजपा सरकार के सहयोगी दल  जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के नेता केसी त्यागी ने भी इसका विरोध किया है. त्यागी ने कहा, "कांवड़ यात्रा मार्ग पर खाने-पीने की दुकानों पर मालिकों का नाम प्रदर्शित करने के मुजफ्फरनगर पुलिस के आदेश को वापस लिया जाना चाहिए, क्योंकि इससे सांप्रदायिक तनाव फैल सकता है. त्यागी ने कहा कि धर्म और जाति के आधार पर किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं होना चाहिए."  


इस आदेश की आलोचना किये जाने के सवाल पर त्यागी ने कहा, "हिंदू कैलेंडर के सावन महीने के दौरान हिंदुओं द्वारा की जाने वाली ‘कांवड़ यात्रा’ सदियों से पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अलग -अलग इलाकों से होकर गुजरती रही है, लेकिन कभी भी सांप्रदायिक तनाव की कोई खबर नहीं आई. हिंदू, मुस्लिम और सिख भी स्टॉल लगाकर कांवड़ियों का स्वागत करते हैं. कांवड़ बनाने में मुस्लिम कारीगर भी शामिल होते हैं. जिला प्रशासन को अपने फैसले की समीक्षा करनी चाहिए और इसे वापस लेना चाहिए." 


गौरतलब है कि मुजफ्फरनगर में पुलिस ने कांवड़ यात्रा के रास्ते पर सभी होटलों को उनके मालिकों के नाम प्रदर्शित करने का हुक्म दिया है ताकि किसी भी तरह का ‘भ्रम’ न हो. 


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 सपा सांसद ने कहा, अवाम को भटकाने की कोशिश
 रामपुर से समाजवादी पार्टी के सांसद मोहिबुल्लाह नदवी ने इसे संविधान के खिलाफ बताया है. मोहिबुल्लाह नदवी ने कहा, " ऐसे कदम से लोगों में आपसी सौहार्द बिगड़ेगा. संविधान में कहा गया है कि इक्वालिटी और भाईचारा होना चाहिए, भेदभाव नहीं. अधिकारी भी संविधान की शपथ लेते हैं कि वह किसी के साथ भेदभाव नहीं होने देंगे." उन्होंने कहा कि इस आदेश का मकसद असल मुद्दों से अवाम को भटकाना है। किसानों, नौजवानों के मुद्दे से अवाम का ध्यान भटकाना इनका मकसद है. 


पार्टी के पूर्व सांसद एसटी हसन ने कहा, "यह समाज को बांटने की साजिश है. ऐसा ही एक ट्रेंड जर्मनी में चला था जिसमें एक कम्युनिटी को बॉयकॉट करने का संदेश था. हमें ऐसा लगता है कि हिंदू-मुसलमान कर भाजपा सरकार समाज को बांटना चाहती है. इस तरह का फरमान जारी कर एक संदेश दिया जा रहा है कि मुसलमानों की दुकान से कुछ भी खरीदना बंद कर दें." 


कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा, "कांवड़ यात्रा के रूट पर फल-सब्ज़ी विक्रेताओं व रेस्टोरेंट ढाबा मालिकों को बोर्ड पर अपना नाम लिखना होगा. इसके पीछे की मंशा बड़ी स्पष्ट है, हिंदू कौन और मुसलमान कौन? हो सकता है कि इसमें जाति भी हो. यूपी सरकार ने जो आदेश जारी किया है, इसके पीछे मंशा है कि कैसे मुसलमानों का आर्थिक बहिष्कार का सामान्यीकरण करना है. इस मंशा को हम कामयाब नहीं होने देंगे."