लखनऊः भारतीय जनता पार्टी आने वाले लोकसभा चुनाव की रणनीति अभी से बनाना शुरू कर दी है. इस रणनीति के तहत पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अलग-अलग लोकसभा क्षेत्रों में असर रखने वाली मुस्लिम समुदाय को लुभाने के लिए अगले महीने ईद के बाद इन इलाकों में ‘स्नेह मिलन’ सम्मेलन का आयोजन करेगी. उत्तर प्रदेश भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के सद्र कुंवर बासित अली ने मंगलवार को बताया कि सम्मेलनों की शुरुआत मुजफ्फरनगर से की जाएगी. ये वही जगह है, जहां साल 2012 में भड़के हिंदू-मुस्लिम दंगों में कई लोगों की जान चली गई थी और एक ही जाति से ताल्लुक रखने वाले हिंदू और मुसलमान एक दूसरे की जान के दुश्मन बन गए थे.  

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हर सीट पर असर रखते हैं मुस्लिम मतदाता 
कुंवर बासित अली ने कहा, “पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मुस्लिम जाट, मुस्लिम राजपूत, मुस्लिम गुर्जर और मुस्लिम त्यागी बिरादरियों के मतदाताओं की अच्छी-खासी तादाद है. वहां के लगभग हर लोकसभा क्षेत्रों में इनकी औसतन ढाई लाख आबादी है.” अली ने कहा, “पार्टी विभिन्न जिलों में ‘स्नेह मिलन : एक देश, एक डीएनए सम्मेलन’ आयोजित करके इन मतदाताओं को अपने साथ जोड़ने की कोशिश करेगी. इससे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के ज्यादातर लोकसभा क्षेत्रों के चुनावी समीकरणों पर असर पड़ेगा.” 

मुसलमानों को पटाएंगे भाजपा के ठाकुर, त्यागी और गुर्जर नेता 
अली के मुताबिक, "स्नेह मिलन’ सम्मेलन में जाट, राजपूत, गुर्जर और त्यागी समुदाय के हिंदू नेता मंच पर होंगे, जिनमें मुख्य रूप से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी, मुजफ्फरनगर से सांसद संजीव बालियान और प्रदेश के राज्य मंत्री सोमेंद्र तोमर शामिल होंगे.’’ उन्होंने बताया कि ’स्नेह मिलन सम्मेलन’ के आयोजन का मकसद हिंदू और मुस्लिम जाट, राजपूत, गुर्जर और त्यागी बिरादरियों के बीच स्नेहपूर्ण संबंध स्थापित करना है. इन सम्मेलनों के जरिये इन समुदायों को यह समझाने की कोशिश की जाएगी कि हम सभी एक हैं, एक ही जगह पैदा हुए हैं, सबका डीएनए एक है और हमें मिलकर देश को आगे ले जाना है.”

दो अलग-अलग धर्म को होकर भी रहा है जात-बिरादगी का नाता 
अली ने कहा, “पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मुस्लिम जाट, मुस्लिम राजपूत, मुस्लिम गुर्जर और मुस्लिम त्यागी बिरादरियां हिंदू समाज की इन्हीं जातियों के लोगों के साथ भाई-भाई का रवैया रखती हैं. उनमें हिंदू और मुसलमान का फर्क नहीं है. बैठकें, पंचायतें और समाज की दावतें वगैरह सब बिरादरी के आधार पर ही तय होती हैं. इसी को ध्यान में रखते हुए भाजपा ने इन सम्मेलनों के आयोजन का फैसला किया है.” उन्होंने कहा, "हमारा डीएनए एक है. इसी बुनियाद पर हम जाट, राजपूत, गुर्जर और त्यागी बिरादरियों के हिंदू नेताओं को इन सम्मेलनों के दौरान मंच पर बुलाकर एक रिश्ता कायम करने की कोशिश करेंगे.” 

पिछले चुनाव में इन सीटों पर भाजपा को मिली थी हार 
गौरतलब है कि साल 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में पश्चिमी उत्तर प्रदेश की नगीना, अमरोहा, बिजनौर और सहारनपुर सीट पर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने कामयाबी हासिल की थी, जबकि इलाके की मुरादाबाद और संभल सीट समाजवादी पार्टी के खाते में गई थी. भाजपा को पिछले लोकसभा चुनाव में यहां हार का सामना करना पढ़ा था. इन लोकसभा सीटों पर इस बार जीत दर्ज करने के लिए पार्टी अभी से व्यापक रणनीति बना रही है. 'स्नेह मिलन सम्मेलन’ को भी इसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है. मौजूदा वक्त में उत्तर प्रदेश की कुल 80 लोकसभा सीटों में से 65 सीटें सत्तारूढ़ भाजपा के खाते में है. वहीं, 10 सीटों पर बसपा, तीन पर सपा और दो पर भाजपा की सहयोगी अपना दल-सोनेलाल का कब्जा है.


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