नई दिल्लीः सरकार ने चालू वित्त वर्ष के लिए विनिवेश लक्ष्य को 65,000 करोड़ रुपये से घटाकर 50,000 करोड़ रुपए कर दिया है. इसका सीधा मतलब है कि नए साल में भी सार्वजनिक क्षेत्र की कुछ कंपिनयों पर गाज गिर सकती है. इन कंपनियों को निजी हाथों में सौंपा जा सकता है. बजट में होने वाले खर्चों की भरपाई सरकार कुठ और कंपनियों को बेचकर पूरा कर सकती है.


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वित्त मंत्रालय के एक अफसर ने बुधवार को यह जानकारी दी है. इसके साथ ही सरकार ने अगले वित्त वर्ष 2023-24 के बजट में विनिवेश से 51,000 करोड़ रुपए जुटाने का लक्ष्य रखा है. चालू वित्त वर्ष और साथ ही अगले वित्त वर्ष में सरकारी संपत्तियों के मौद्रीकरण से सरकार को लगभग 10,000 करोड़ रुपये आने की उम्मीद है. सरकार अगले वित्त वर्ष में आईडीबीआई बैंक के अलावा शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया, एनएमडीसी स्टील लिमिटेड, बीईएमएल, एचएलएल लाइफकेयर, कंटेनर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया और विजाग स्टील जैसी कंपनियां का निजीकरण कर सकती है.  

यहां से पैसे की उगाही करेगी सरकार 
गौरतलब है कि पूंजीगत प्राप्तियों के बजट में विनिवेश से मिली रकम को विविध प्राप्तियों के तहत रखा जाता है. वित्त वर्ष 2023-24 के बजट दस्तावेज़ के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष में विविध पूंजीगत प्राप्तियों का संशोधित अनुमान 60,000 करोड़ रुपए रखा गया है. मंत्रालय के एक अफसर ने कहा कि इस 60,000 करोड़ रुपये में 50,000 करोड़ रुपए विनिवेश से और 10,000 करोड़ रुपए संपत्ति के मौद्रीकरण से मिले हैं. वहीं, अगले वित्त वर्ष में विनिवेश से 51,000 करोड़ रुपए सहित विविध पूंजीगत प्राप्तियां 61,000 करोड़ रुपए आंकी गई हैं.

इन कंपनियों को निजी हाथों में सौंपा जा सकता है 
निवेश और लोक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) की वेबसाइट के मुताबिक, सरकार ने चालू वित्त वर्ष में अबतक सीपीएसई में अल्पांश हिस्सेदारी बेचकर 31,100 करोड़ रुपए से ज्यादा की कमाई कर चुकी है, जबकि पूरे साल के बजट में इसके लिए 65,000 करोड़ रुपए का लक्ष्य तय किया गया था. 


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