EIGHTH WONDER OF WORLD: कंबोडिया के मध्य में स्थित अंगकोर वाट, इटली के पोम्पेई को पछाड़कर दुनिया का आठवां अजूबा बन गया है. दुनिया का आठवां अजूबा नई इमारतों, परियोजनाओं और डिजाइनों समेत अन्य को दिया जाने वाला एक अनौपचारिक शीर्षक है. दरअसल, 12वीं शताब्दी में राजा सूर्यवर्मन द्वितीय ने अंगकोर वाट का निर्माण करवाया था. अंगकोर वाट मूल रूप से तो हिंदू देवता विष्णु को समर्पित था, लेकिन समय के साथ, यह एक बौद्ध मंदिर में बदल गया. अब इस स्थान से इटली के पोम्पेई को हटाकर अंगकोरवाट को ये पद दे दिया गया है.

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

कंबोडिया का अंगकोर वाट
कंबोडिया का अंगकोर वाट दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक स्मारक है. ये  विशाल मंदिर परिसर और यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है. यहां हर साल दुनिया भर से लाखों पर्यटकों यहां घूमने आते हैं.
 


अंगकोर वाट  का इतिहास
12वीं शताब्दी में राजा सूर्यवर्मन द्वितीय ने इसका निर्माण करवाया था. ये मुख्य रूप से हिंदू देवता विष्णु को समर्पित था, लेकिन हालाँकि, समय के साथ, यह एक बौद्ध मंदिर में बदल गया है. इसकी दीवारों पर की गई नक्काशी में हिंदू और बौद्ध पौराणिक कथाओं का वर्णन साफ देखने को मिलता है.

वास्तुशिल्प की दृष्टि में आश्चर्य
अंगरकोट वाट लगभग 500 एकड़ क्षेत्र में फैला है. इसकी बाहरी दीवारों के चारों ओर एक विशाल खाई है. केंद्रीय मंदिर परिसर से समरूपता और सटीकता का चमत्कार देखा जा सकता है, जिसमें पांच कमल के आकार के टावर हैं जो माउंट मेरु को रिप्रजेंट करते हैं, दरअसल, इसका खूबसूरत वास्तुशिल्प ही इसे दुनिया का आंठवा अजूबा बनाता है.