Cataracts: आंखें दुनिया की सबसे बड़ी नेमत हैं. आंखों पर बदलते लाइफ स्टाइल का असर काफ़ी पड़ा है. हर वक़्त फोन का इस्तेमाल इसकी सबसे बड़ी वजह है. जैसे-जैसे व्यक्ति की उम्र बढ़ने लगती है, वैसे-वैसे उसको आंखों की समस्या का सामना करना पड़ता है. आंख़ों की एक बहुत ही आम बीमारी है, जिसे मोतियाबिंद कहा जाता है. ख़ासकर ग्रामीण इलाक़ों में ये बीमारी काफ़ी लोगों में पाई जाती है, लेकिन अब मोतियाबिंद समेत आंखों की तमाम परेशानियों का आसानी से पता लगाया जा सकेगा. दरअसल, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और व्हाट्सऐप पर आधारित एक प्रणाली विकसित की गई है, जिसके जरिए आंखों की समस्याओं का पता लगाया जा सकता है.


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व्हाट्सऐप के ज़रिए होगी आंखों की जांच
बीते दिनों यूपी की राजधानी लखनऊ में आयोजित जी20 की मीटिंग में लगी एक एग्ज़िबीशन में इस नई तकनीक के बारे में बताया गया था. इस तकनीक को विकसित करने वाले प्रियरंजन घोष ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में अक्सर लोगों को आंखों की समस्याओं का सामना करना पड़ता है, लेकिन वक़्त रहते डॉक्टर को न दिखाने और अस्पताल में इलाज न मिलने से उनकी परेशानी बढ़ जाती है. ऐसे में व्हाट्सऐप के ज़रिए से कोई भी स्वास्थ्यकर्मी बहुत  ही आसानी से इन मरीज़ों को पेश आ रही आंखों की समस्याओं का पता लगा सकता है. यह पूरी तकनीक आटोमेटिक है.



अब तक 1100 लोग उठा चुके हैं लाभ
मरीज़ की आंख का फोटो खींचते ही मोतियाबिंद के बारे में पता चल जायेगा और इसकी बुनियाद पर मरीज़ डॉक्टर के पास जाकर सही इलाज ले सकता है. उन्होंने बताया कि इसे 2021 में बनाया गया है और अभी यह एमपी के विदिशा में चल रहा है. अब तक इस तकनीक 11 सौ लोगों की जांच कराई जा चुकी है. यह व्हाट्सऐप के ज़रिए से आसान तरीक़े से जांच करता है. लागी (एआई) की डायरेक्टर निवेदिता तिवारी ने बताया कि यह एप्लीकेशन व्हाट्सऐप के साथ संलग्न किया गया है, क्योंकि व्हाट्सऐप लगभग सबके पास है. आगे चलकर अलग से इसकी एप्लीकेशन भी लांच की जाएगी. 


घर बैठे करें जांच
उन्होंने बताया कि व्हाट्सऐप में एक नंबर क्रिएट किया है, जिसे कॉन्टैक्ट कहते हैं. इस कॉन्टैक्ट में हमने अपनी तकनीक को इंटीग्रेट किया है, जिसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कैटरेक्ट स्क्रीनिंग सॉल्यूशन कहा जाता है। इसे व्हाट्सऐप में जोड़कर अपने यूजर को कॉन्टैक्ट भेजते हैं. कॉन्टैक्ट रिसीव होते ही उस शख़्स की बेसिक जानकारी पूछी जाती है. व्हाट्सऐप बॉट के ज़रिए से नाम, जेंडर अन्य चीज़ों का जानकारी ली जाती है. यह जानकारी देने के बाद आंखों की तस्वीर लेनी होती है. फोटो अच्छी हो इसके लिए उन्हें गाइड लाईन दी जाती है. व्यक्ति अपना फोटो बॉट में भेज देता है. तस्वीर रिसीव होते ही बॉट रियल टाइम में बता देता है कि उस शख़्स को मोतियाबिंद है या नहीं. बीमारी का मालूम होने के बाद रोगी डाक्टर से दवा और सर्जरी करवा सकता है.


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