Umar Kahlid Case: सर्वोच्च न्यायलय ने मंगलवार को जेएनयू पूर्व छात्र उमर खालिद की UAPA के अलग-अलग प्रावधानों को चुनौती देने वाली पीटिशन पर केंद्र से जवाब मांगा. जस्टिस अनिरुद्ध बोस और बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने यह भी कहा, "वह इस मुद्दे पर इसी तरह की याचिकाओं पर 22 नवंबर को सुनवाई करेगी."


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सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "वह फरवरी 2020 के पूर्वोत्तर दिल्ली दंगों के पीछे की साजिश में कथित संलिप्तता को लेकर आतंकवाद विरोधी कानून UAPA के तहत दर्ज मामले में जमानत की मांग करने वाली खालिद की याचिका पर भी उसी तारीख को सुनवाई करेगी."


पीठ ने कहा, "उन सभी को एक साथ लिया जाए". उल्लेखनीय है कि सर्वोच्च न्यायलय के जज प्रशांत कुमार मिश्रा ने 9 अगस्त को खालिद की पीटिशन पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था.


दिल्ली हाई कोर्ट ने 18 अक्टूबर, 2022 के हुक्म को चुनौती देने वाली बेल पीटिशन को खारिज कर दी थी.


सुप्रीम कोर्ट ने इस वजह से बेल पीटिशन की थी खारिज
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने खालिद की बेल पीटिशन को यह कहते हुए खारिज कर दी थी कि वह दूसरे सह-मुल्जिमों के साथ लगातार कांटेक्ट में था और उसके खिलाफ इल्जाम प्रथम दृष्टया सही थे. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था कि मुल्जिमों की हरकतें प्रथम दृष्टया UAPA के तहत "आतंकवादी कृत्य" के रूप में दुरुस्त हैं.


दंगे में 53 लोगों गंवाए थे जान  
बता दें कि नागरिकता (एमेंडमेंट) एक्ट (CCA) और NRC के खिलाफ एतहजाज के दौरान हिंसा भड़क गई थी. उमर खालिद, शरजील इमाम और कई दूसरे लोगों पर फरवरी 2020 के दंगों के कथित "मास्टरमाइंड" होने के लिए UAPA और IPC के धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया है. इस दंगें में 53 लोग मारे गए थे और 700 से ज्यादा लोग जख्मी हो गए थे.


साल 2020 के सितंबर के महिने में उमर खालिद ने इस बुनियाद पर जमानत मांगी थी कि हिंसा में उसकी न तो कोई आपराधिक भूमिका थी और न ही मामले में किसी दूसरे मुल्जिम के साथ कोई "षड्यंत्रकारी संबंध" था.


दिल्ली पुलिस ने बेल पीटिशन का इस वजह से किया था विरोध 
दिल्ली पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट में उमर खालिद की बेल पीटिशन का मुखालिफत करते हुए कहा था कि उनके द्वारा दिया गया भाषण "बहुत गणनात्मक" था. उन्होंने बाबरी मस्जिद, तीन तलाक, कश्मीर, मुसलमानों के कथित दमन और CAA और NRC जैसे कंट्रोवर्शियल मामले को उठाया था.