समान नागरिक संहिता पर केंद्र का सुप्रीम कोर्ट में हलफ़नामा, क़ानून बनाना कोर्ट का काम नहीं: केंद्र
Uniform Civil Code: केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि वह संसद को मुल्क में समान नागरिक संहिता (UCC) पर कोई क़ानून बनाने या उसे लागू करने की हिदायत नहीं दे सकता है. क्या है मामला, जानने के लिए पढ़िए पूरी ख़बर...
UCC: समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) को मुल्क में लागू करने की बात काफी वक़्त से की जा रही है. यूनिफार्म सिविल कोड को लेकर सुप्रीम कोर्ट में जारी सुनवाई के दौरान 18 अक्टूबर को केंद्र सरकार ने दाख़िल अपने हलफनामे में कोर्ट से कहा कि समान नागरिक संहिता (UCC) के लिए जनहित याचिका ऐसी नहीं है कि जिस पर सुनवाई की जाए. साथ ही केंद्र सरकार ने यह भी कहा कि यूनिफार्म सिविल कोड बनाने के लिए संसद को किसी तरह की कोई हिदायत नहीं दी जा सकती है.
संसद को कोई निर्देश नहीं दिया जा सकता: केंद्र
समान नागरिक संहिता को लेकर लॉ मिनिस्ट्री की तरफ़ से सुप्रीम कोर्ट में दाख़िल अपने पहले हलफनामे में केंद्र ने कहा कि यूसीसी बनाने के लिए पार्लियामेंट को कोई निर्देश नहीं दिया जा सकता. केंद्र ने यूनिफार्म सिविल कोड की मांग वाली अर्ज़ी की मुख़ालेफत की है. इसके अलावा सर्वोच्च न्यायालय से यह भी कहा कि याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय की जनहित याचिका को जुर्माने के साथ रद्द कर दी जाए. केंद्र की तरफ से यह भी कहा गया कि यूसीसी के लिए व्यापक परामर्श की दरकार है. इसके लिए कमेटी का गठन किया जाए और जब यह गठित होगी तो इसे क़ानून मिनिस्ट्री के सामने पेश किया जाएगा.
याचिका को ख़ारिज करने की मांग
केंद्र ने अर्ज़ी को रद्द करने की मांग करते हुए कहा, "यह क़ानून की तय स्थिति है जैसा कि इस अदालत द्वारा निर्णयों की श्रेणी में रखा गया है कि हमारी संवैधानिक योजना के तहत, संसद कानून बनाने के लिए संप्रभु शक्ति का प्रयोग करती है और इसमें कोई बाहरी शक्ति या प्राधिकरण हस्तक्षेप नहीं कर सकता है". मंत्रालय ने कहा, यह लोगों के चुने हुए प्रतिनिधियों के निर्णय के लिए नीति का मामला है और इस मामले में अदालत के ज़रिए कोई निर्देश जारी नहीं किया जा सकता है.
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