नई दिल्ली: किसी भी सूबे के चुनाव हों बीजेपी स्टार प्रचारक के तौर पर योगी आदित्यनाथ को मैदान में ज़रूर उतारती रही है. योगी ने चुनाव के दौरान धड़ाधड़ रैलियां कर पार्टी को कभी निराश भी नहीं किया. इस बार भी जब बिहार चुनाव की तारीखों का ऐलान हुआ तो स्टार प्रचारक के तौर पर पीएम नरेंद्र मोदी के साथ-साथ योगी आदित्यनाथ पर भी पार्टी ने भरोसा जताया. मंगलवार को नतीजों ने ये साफ कर दिया कि बीजेपी का ये दांव बिल्कुल गलत नहीं था.


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6 दिन में योगी ने की थीं ताबड़तोड़ 18 रैलियां
उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने बिहार चुनाव में जमकर मेहनत की. उन्होंने लखनऊ और पटना एक कर दिया. एक ही दिन में लखनऊ में कैबिनेट की मीटिंगे निपटाते और फिर बिहार में प्रचार करने के लिए निकल पड़ते. योगी आदित्यनाथ ने 6 दिन में ताबड़तोड़ 18 रैलियां कीं. अगर औसतन देखें तो एक दिन में योगी 3 रैलियां कर रहे थे. दिलचस्प बात ये रही कि इन रैलियों के लिए योगी का मैनेजमेंट ऐसा था कि वे यूपी के प्रशासनिक कार्यों में कोई अड़चन नहीं आने देते थे.


बीजेपी को लौटाई खोई हुई साख
2015 में हुए बिहार चुनाव में महागठबंधन ने बीजेपी को अच्छा खासा नुकसान पहुंचाया था. ऐसे में सीएम योगी का फोकस उन्हीं इलाकों पर था, जहां बीजेपी को पिछले चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था. पहले चरण के चुनाव प्रचार में योगी 6 अहम सीटों पर पहुंचे थे- पालीगंज, तरारी, जमुई, काराकाट, अरवल और रामगढ़. ये सभी सीटें पिछले चुनाव में बीजेपी के हाथ से निकल चुकी थीं. इस बार के नतीजों ने इनमें से तीन सीटें जमुई, काराकाट और अरवल बीजेपी के खाते में जा रही हैं. जबकि रामगढ़ में भी बीजेपी कांटे की टक्कर बीएसपी को दे रही है. इसके अलावा जिन असेंबली सीटों पर योगी प्रचार के लिए पहुंचे थे उनमें से - पूर्णिया, सहरसा, सिवान, गरियाकोठी, भागलपुर, गोविंदगंज, झंझारपुर, दरभंगा में भी योगी का प्रचार रंग लाता हुआ दिखा है. यानि 18 में से 10 सीटों पर योगी के प्रचार का असर कुछ ऐसा रहा कि बीजेपी शानदार प्रदर्शन कर रही है.


बिहार में क्यों सफल हुए योगी?
गोरक्षपीठ का बिहार के कई इलाकों में अच्छा खासा असर है. इसकी वजह से योगी आदित्यनाथ का इस्तेमाल बिहार चुनाव में किया गया. खासतौर पर प्रदेश के सीमावर्ती जिले, उत्तरी बिहार, पूर्वी बिहार और मिथिलांचल का इलाकों में गोरक्षपीठ का खूब असर है. कोरोना काल में प्रवासी मजदूरों की घर वापसी एक बड़ा मुद्दा था, जिसमें योगी के काम को यूपी के साथ बिहार में भी सराहा गया था. बड़ी तादाद में बिहार के मजदूरों को बॉर्डर तक पहुंचाने का काम योगी सरकार ने किया था. इसकी वजह से वहां लौटे प्रवासी मजदूरों और नौजवानों के बीच योगी का ज़बरदस्त क्रेज़ है. यूपी सीएम योगी ने प्रवासी मजदूरों की सफल वापसी कराकर बि‍हार समेत तमाम राज्यों को राह दिखाई थी. महाराष्ट्र, गुजरात और तमिलनाडु में फंसे बिहार के तमाम मजदूरों ने योगी सरकार की मिसाल देते हुए नीतीश सरकार से बिहार वापसी की मांग की थी. यही वजह है कि योगी की मकबूलियत का ग्राफ यूपी समेत आस-पास के राज्यों में भी बढ़ा है.


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