नई दिल्लीः तिरुवनंतपुरम से सांसद शशि थरूर (Shashi Tharoor) ने शुक्रवार को कांग्रेस के अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए अपना नामांकन दाखिल कर दिया है. उनके सामने मल्लिकार्जुन खड़गे और एन के तवारी जैसे नेता है, जिनमें खड़गे की जीत लगभग तय है, क्योंकि वह गांधी परिवार के बेहद नजदीक माने जाते हैं. चुनाव में थरूर (Shashi Tharoor) की हार पक्की है, लेकिन इसके बावजूद लोग उनकी तारीफ कर रहे हैं कि उन्होंने कम से कम चुनाव लड़ने की हिम्मत दिखाई है. थरूर (Shashi Tharoor) ने कहा है कि अगर कांग्रेस के लोग बदलाव चाहते हैं, तो उन्हें वोट करें और अगर पुराने ढर्रे पर चलना चाहते हैं तो फिर खड़गे को वोट करें. 

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थरूर ने खड़गे को बताया स्टाम्प अध्यक्ष 
चुनाव होने और नतीजे आने के पहले ही थरूर ने जहां खड़गे को स्टाम्प अध्यक्ष कहकर उनपर तंज किया है, वहीं खुद के लिए उन्होंने कहा कि वह कोई ‘क्वॉकरवोज़र’ नहीं हैं. ‘क्वॉकरवोज़र’ शशि थरूर का ही ईजाद किया हुआ शब्द है, जिसका अर्थ एक प्रभावशाली तीसरे पक्ष के इशारों पर काम करने वाला शख्स.बेस्टसेलर किताबों के लेखक, संयुक्त राष्ट्र के पूर्व राजनयिक और 83 लाख से ज्यादा फॉलोअर के साथ सोशल मीडिया की सबसे लोकप्रिय हस्तियों में शुमार थरूर ने यह साबित किया है कि वह कठपुतली और लकीर के फकीर बनने के बजाए एक स्वतंत्र सोच वाले व्यक्ति हैं, जो अपनी शर्तों पर जीते हैं.

बागी नेताओं में रहे हैं शामिल 
66 वर्षीय थरूर फिलहाल कांग्रेस में एक बागी नेता के तौर पर देखे जाते हैं. वह 2020 में पार्टी संगठन में बड़े पैमाने पर सुधार की मांग को लेकर सोनिया गांधी को पत्र लिखने वाले ‘जी-23’ समूह के नेताओं में शामिल हैं. थरूर ने कहा, “कांग्रेस सब कुछ ठीक करने में जितना ज्यादा वक्त लेगी, हमारे पारंपरिक वोट बैंक के लगातार खिसकने और उसके हमारे राजनीतिक प्रतिस्पर्धियों की तरफ आकर्षित होने का जोखिम उतना ही ज्यादा रहेगा.” उन्होंने कहा, “यही वजह है कि मैं लंबे अरसे से पार्टी के अंदर निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव कराने का समर्थक रहा हूं, जिसमें अध्यक्ष पद का चुनाव भी शामिल है.” 

अमेरिका से की है पढ़ाई 
1956 में लंदन में जन्मे शशि थरूर ने दिल्ली के प्रतिष्ठित सेंट स्टीफंस कॉलेज से अर्थशास्त्र में ग्रेजुएशन किया था. वह सेंट स्टीफंस कॉलेज के छात्र संघ के अध्यक्ष भी रह चुके हैं. उन्होंने अमेरिका के मेडफोर्ड स्थित फ्लेचर स्कूल ऑफ लॉ एंड डिप्लोमेसी से पोस्टग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी करने के बाद 1978 में वहां से पीएचडी की डिग्री हासिल की थी. 

संयुक्त राष्ट्र के महासचिव पद के लिए लड़ चुके हैं चुनाव 
शशि थरूर ने संयुक्त राष्ट्र में एक सफल राजनयिक के रूप में पहचान बनाई थी. संयुक्त राष्ट्र में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने शीत युद्ध के बाद शांति बनाए रखने में अहम भूमिका निभाई थी और महासचिव के सलाहकार के अलावा संचार और सार्वजनिक सूचना के लिए अवर-महासचिव के रूप सेवाएं दी है. 2006 में शशि थरूर को संयुक्त राष्ट्र के महासचिव पद के लिए हुए चुनाव में भारत के आधिकारिक उम्मीदवार के रूप में चुना गया था. इस चुनाव में दक्षिण कोरियाई राजनयिक बान की मून ने जीत दर्ज की थी और थरूर कुल सात उम्मीदवारों में दूसरे स्थान पर रहे थे.

53 साल की उम्र में राजनीतिक में रखा था कदम 
2009 में सक्रिय राजनीति में कदम रखते हुए कांग्रेस के टिकट पर पहली बार थरूर तिरुवनंतपुरम से सांसद चुने गए. थरूर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी पर बड़े अंतर से जीत दर्ज करने में कामयाब रहे थे. थरूर का सियासी सफर भले ही 53 साल की उम्र में शुरू हुआ था, लेकिन उन्होंने पार्टी में अपनी मजबूत स्थिति बना ली थी. उस वक्त कांग्रेस की केरल इकाई के कुछ नेताओं ने थरूर को बाहरी बताते हुए उनकी उम्मीदवारी का विरोध किया था. 

अपनी अंग्रेजी के लिए रहते हैं चर्चा में 
कांग्रेस नीत संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार में थरूर को केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री नियुक्त किया गया था. थरूर सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने में माहिर हैं. साल 2013 तक वह ट्विटर पर भारत के सबसे ज्यादा फॉलो किए जाने वाले नेता थे. इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्विटर पर सबसे ज्यादा फॉलो किए जाने वाले नेता के रूप में थरूर की जगह ले ली. थरूर एक मुखर नेता के रूप में जाने जाते हैं. वह अक्सर अपनी राजनीतिक गतिविधियों और ऐसे शब्दों के इस्तेमाल के कारण सुर्खियों में रहते हैं, जिसका कई बार अर्थ समझने के लिए शब्दकोष का सहारा लेना पड़ता है.


ब्यानों पर छिड़ चुका है विवाद  
2009 में अपने राजनीतिक करियर के शुरुआती दिनों में थरूर ने हवाई यात्रा के संबंध में ‘कैटल क्लास’ टिप्पणी की थी, जिसके लिए उन्हें माफी भी मांगनी पड़ी थी. थरूर पर मंत्री पद पर रहते हुए केरल के कोच्चि शहर की एक क्रिकेट टीम में संदिग्ध दिलचस्पी रखने का भी इल्जाम लगाया गया था, जिसके बाद उन्होंने अप्रैल 2010 में केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था. 

पत्नी सुनंदा पुष्कर की मौत मामले में बाइज्जत हुए बरी 
जनवरी 2014 में शशि थरूर के निजी जिंदगी में एक दुखद मोड़ आया, जब उनकी पत्नी सुनंदा पुष्कर दिल्ली के एक लक्जरी होटल के एक कमरे में संदिग्ध परिस्थितियों में मृत पाई गई थीं. दिल्ली पुलिस ने थरूर के खिलाफ पत्नी को आत्महत्या के लिए उकसाने का केस दर्ज किया था, हालांकि, पिछले साल दिल्ली की एक अदालत ने उन्हें इस मामले में बरी कर दिया. 2014 में पत्नी की मौत के दुख से गुजर रहे थरूर ने तिरुवनंतपुरम से दूसरी बार लोकसभा चुनाव जीता.

थरूर के नाम जुड़ा है ये रिकॉर्ड 
जुलाई 2020 में थरूर के खाते में तिरुवनंतपुरम लोकसभा क्षेत्र का सबसे लंबे अरसे तक प्रतिनिधित्व करने का रिकॉर्ड जुड़ गया. उन्होंने कांग्रेस के ए चार्ल्स का रिकॉर्ड तोड़ते हुए यह उपलब्धि हासिल की, जिन्होंने 1984 से 1991 के बीच 4,047 दिन तिरुवनंतपुरम लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया था. एक सक्रिय सांसद और सदन के सर्वश्रेष्ठ वक्ताओं में शुमार थरूर संसद की विदेश मामलों की स्थाई समिति के अध्यक्ष भी रह चुके हैं. वह वर्तमान में सूचना एवं प्रौद्योगिकी और संचार से जुड़े संसदीय पैनल के अध्यक्ष हैं.

बेस्ट सेलर किताबों के हैं लेखक 
थरूर एक प्रतिष्ठित लेखक भी रहे हैं और उन्होंने ‘द ग्रेट इंडियन नॉवेल’, ‘एन एरा ऑफ डार्कनेस’, ‘व्हाई आई एम अ हिंदू’ और ‘द पैराडॉक्सिकल प्राइम मिनिस्टर’ सहित लगभग 23 किताबें लिखी हैं. उन्होंने कई प्रतिष्ठित पुरस्कार और सम्मान भी हासिल किए हैं, जिनमें ‘द ग्रेट इंडियन नॉवेल’ के लिए यूरेशियन क्षेत्र में साल की सर्वश्रेष्ठ पुस्तक के लिए राष्ट्रमंडल लेखक पुरस्कार, स्पेन के महाराजा का कमांडर ऑफ द ऑर्डर ऑफ चार्ल्स तृतीय सम्मान, ‘एन एरा ऑफ डार्कनेस’ के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार और फ्रांस का शेवेलियर दि ला लीजियन दि’ऑनर शामिल है.
 


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