उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार से चारधाम यात्रा मार्ग पर क्रूरता करने वाले घोड़ा—खच्चर चलाने वालों और मालिकों को काली सूची में डालने का हुक्म दिया है. हाई कोर्ट ने कहा है कि उन पर केवल जुर्माना लगाना काफी नहीं है. उच्च न्यायालय का यह हुक्म यात्रा मार्ग पर घोड़ा और खच्चर चलाने वालों के जानवरों से क्रूर व्यवहार किए जाने के बारे में दायर एक जनहित याचिका पर हाल में सुनवाई के दौरान आया.


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जानवरों के साथ हो रही क्रूरता


अर्जी में इल्जाम लगाया गया है कि घोड़ा—खच्चर चलाने वाले ज्यादा लोग फायदा कमाने के चक्कर में जानवरों को उनकी सकामत से ज्यादा काम करने को मजबूर करते हैं. वह लोग जानवरों को से उनकी सकामत से ज्यादा वजन उठवाते हैं. हाई कोर्ट के अहम जज विपिन सांघी और जज राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने हाल में यह फैसला सुनाते हुए कहा, ‘‘हमारा मानना है कि जानवरों पर क्रूरता करने वालों पर केवल जुर्माना लगाना या उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज करना काफी नहीं है." न्यायाधीशों ने कहा कि जुर्माना नाममात्र का है और आपराधिक मामलों को तय करने में सालों लगते हैं. उन्होंने कहा कि गलतियां करने वाले लोगों और मालिकों में इसे लेकर कोई डर नहीं है कि अगर वे अपना आचरण नहीं सुधारेंगे तो उन्हें क्या अंजाम भुगतने होंगे. इसलिए वे ज्यादा फायदे के लिए जानवरों से क्रूरता करते रहते हैं.


600 जानवरों की मौत


उच्च न्यायालय ने कहा, "घोड़ा—खच्चरों के खिलाफ क्रूरता रोकने के लिए केवल एक ही प्रभावी तरीका है कि अपने अश्वों से क्रूरता और दुर्व्यवहार करते पाए जाने वाले संचालकों और मालिकों को काली सूची में डाल दिया जाए." यह याचिका पशु अधिकार कार्यकर्ता गौरी मौलेखी और सामाजिक कार्यकर्ता अजय गौतम ने दायर की है. याचिका में कहा गया है कि चारधाम यात्रा के दौरान 600 घोड़े मारे गए हैं जिससे इलाके में बीमारी फैलने का खतरा भी पैदा हो गया है.


जानवरों के लिए हों डॉक्टर


याचिका में जानवरों और इंसानों के लिए चिकित्सीय सुविधाएं और सुरक्षा की प्रार्थना भी की गई है. याचिका में तीर्थयात्राओं में बढ़ती भीड़ और उससे पशुओं और लोगों को खाने और रहने में आ रही परेशानियों को लेकर भी चिंताएं सामने आ रही हैं. इन मुद्दों के समाधान के लिए उच्च न्यायालय ने सरकार और याचिकाकर्ता को उच्च न्यायालय को एक सहमति पत्र सौंपने को कहा. दोनों पक्षों (सरकार और याचिकाकर्ता) के बीच कई मुद्दों के समाधान को लेकर एक आपसी समझौता हुआ.


जानवरों से रात में काम न लें 


दोनों पक्ष इस बात को लेकर सहमत थे कि खच्चरों से रात को काम नहीं करवाया जाएगा, घोड़ा—खच्चरों से उनकी भार ढ़ोने की क्षमता से ज्यादा वजन उठाने को मजबूर नहीं किया जाएगा और हर खच्चर एक दिन में एक शिफ्ट से ज्यादा काम नहीं करेगा. दोनों पक्ष इस पर भी सहमत थे कि यात्रा से पूर्व घोड़ा—खच्चर की डॉक्टरी जांच की जाएगी. रास्ते में उनके लिए गर्म पानी, रहने की व्यवस्था और जानवरों के डॉक्टरों की व्यवस्था की जाएगी.