नई दिल्लीः दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय (Delhi Environment Minister Gopal Rai) ने बुधवार को कहा है कि राजधानी में दिवाली के मौके पर पटाखे छोड़ने (bursting of crackers) पर छह महीने तक की जेल और 200 रुपए तक जुर्माना हो सकता है. राय ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को खिताब करते हुए कहा कि राजधानी में पटाखों के उत्पादन, भंडारण और बिक्री पर विस्फोटक कानून की धारा 9बी के तहत 5,000 रुपए तक का जुर्माना और तीन साल तक जेल की सजा का प्रावधान है. दिल्ली सरकार ने पिछले सितम्बर माह में एक आदेश जारी कर अगले साल एक जनवरी तक सभी तरह के पटाखों के उत्पादन, बिक्री और इस्तेमाल पर पूरी तरह बैन लगा दिया था. 

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408 टीम दिल्ली में रखेगी आतिशबाजी पर नजर 
गोपाल राय ने कहा है कि प्रतिबंध को सख्ती से लागू करने के लिए दिल्ली में 408 टीम का गठन किया गया है. दिल्ली पुलिस ने सहायक पुलिस आयुक्त के तहत 210 टीम का गठन किया है, जबकि राजस्व विभाग ने 165 और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति ने 33 टीम गठित की हैं. मंत्री ने कहा कि अभी तक इस कानून के उल्लंघन के 188 मामले सामने आए हैं, और 16 अक्टूबर तक 2,917 किलोग्राम पटाखे जब्त किए गए हैं.

दिवाली के बाद हो जाती है वायू की गुणवत्ता खराब 
राय ने कहा, ‘‘प्रदूषण का स्तर हर साल दिवाली के आसपास बढ़ता है. इसकी खास वजह पटाखे फोड़ना है. पटाखों से निकलने वाला उत्सर्जन खासकर बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों के लिए बेहद खतरनाक हैं.’’ मंत्री ने कहा, ‘‘इसलिए, दिल्ली सरकार ने इस साल भी सभी तरह के पटाखों के उत्पादन, बिक्री और इस्तेमाल पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है. इस प्रतिबंध में पटाखों की ऑनलाइन डिलीवरी भी शामिल है.’’ 

दिल्ली से सटे राज्यों में भी पटाखों पर बैन की मांग 
राय ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव से यह सुनिश्चित करने की अपील की है कि पटाखों पर बैन दिल्ली के अलावा इसके आसपास के इलाकों यानी एनसीआर में भी सख्ती से लागू किया जाए, ‘क्योंकि यहां के पटाखों से निकलने वाला धुआं दिल्ली में भी लोगों को प्रभावित करता है’. दिल्ली के अलावा, हरियाणा ने पिछले साल राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र से संबंधित अपने 14 जिलों में सभी तरह के पटाखों की बिक्री और इस्तेमाल पर बैन लगा दिया था, जबकि उत्तर प्रदेश ने दिवाली पर सिर्फ दो घंटे के लिए क्षेत्रों में हरे पटाखों के इस्तेमाल की इजाजत दी थी. 

पिछले साल बैन के बावजूद छोड़े गए थे पटाखे 
हालांकि पिछले साल पाबंदियों के बावजूद दिल्ली, नोएडा, फरीदाबाद और गुरुग्राम में लोगों ने देर रात तक जमकर पटाखे फोड़े थे. दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) के मुताबिक, पिछले साल दिवाली की रात (चार नवंबर को) दिल्ली में हुई आतिशबाजी की वजह से पीएम10 और पीएम 2.5 सांद्रता में बड़े बदलाव हुए थे. दिवाली के दिन पटाखे फोड़ने और पराली जलाने से हुए उत्सर्जन की वजह से अगले 24 घंटे के दौरान राजधानी का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक दिन में 462 हो गया था, जो पिछले पांच सालों में सबसे ज्यादा था.


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