जीवनसाथी के साथ निजी वक्त बिताएंगे दिल्ली के कैदी? हाई कोर्ट जल्द देगा बड़ा फैसला
हाल ही में पंजाब सरकार ने जेल में बंद कैदियों को ये इजाजत दी है कि वह अपने जीवनसाथी से अकेले में मिल सकते हैं. इसी तरह से दिल्ली भी अपने कैदियों को अपने जीवनसाथी से मिलने की इजाजत देने वाला है.
नेल्सन मंडेला ने एक बार कहा था कि कोई भी किसी देश को तब तक सही मायनों में नहीं जान सकता जब तक कि वह उसकी जेलों के अंदर न हो और किसी देश का मूल्यांकन इस आधार पर नहीं किया जाना चाहिये कि वह अपने सबसे ऊंचे नागरिकों के साथ कैसा व्यवहार करता है, बल्कि इस बात पर किया जाना चाहिये कि वह अपने सबसे निचले स्तर के नागरिकों के साथ कैसा व्यवहार करता है. हाल ही में, दिल्ली उच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय राजधानी की कई जेलों में बंद कैदियों के लिए वैवाहिक मुलाक़ात के अधिकार की मांग करने वाली एक जनहित याचिका (PIL) का जवाब देने के लिए दिल्ली सरकार को निर्देश देकर कैदियों के अधिकारों के लिए एक अहम कदम उठाया है.
कैदियों के मुलाकात पर जवाब तलब
वैवाहिक मुलाक़ात जिसे अक्सर 'निजी पारिवारिक मुलाक़ात' के तौर में जाना जाता है, में कैदियों को अपने कानूनी साझेदारों या जीवनसाथी के साथ निजी समय बिताने की इजाजत दी जाती है, जिसमें यौन गतिविधियां भी शामिल हैं. अहम जज सतीश चंद्र शर्मा और जज संजीव नरूला की कयादत वाली खंडपीठ ने दिल्ली सरकार के वकील को याचिका पर जवाब तैयार करने के लिए छह हफ्तों का वक्त दिया है. मामले की अगली सुनवाई 9 अक्टूबर को होनी है.
मुलाकात तनाव कम करेगी
मनोवैज्ञानिकों और मनोचिकित्सकों ने लंबे समय से कैदियों की भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक जरूरतों को संबोधित करने के महत्व पर जोर दिया है. वैवाहिक मुलाक़ातों के समर्थकों का तर्क है कि ये मुलाक़ातें कैदियों के बीच निराशा, तनाव और नकारात्मक भावनाओं को कम करने में अहम किरदार अदा सकती हैं. यह, बदले में, बेहतर व्यवहारिक अंजामों में योगदान दे सकता है और कैदियों को समाज में पुनः शामिल होने में आसानी होगी. जनहित याचिका दायर करने वाले याचिकाकर्ता अमित साहनी ने कहा, "वैवाहिक मुलाकातों की इजाजत देने या कृत्रिम गर्भाधान के मकसद से छुट्टी की इजाजत देने के कमियों और खामियों पर विचार करने पर नुकसान से अधिक फायदा दिखता है."
जेल अधिकारियों की मौजदगी में न हो मुलाकात
साहनी ने दिल्ली जेल नियम, 2018 के नियम 608 की वैधता को भी चुनौती दी है. नियम 608 के अनुसार वर्तमान में कैदियों के साथ सभी बैठकें एक जेल अधिकारी की मौजूदगी में होती हैं, जो बातचीत को देखने और निगरानी करने के लिए जिम्मेदार है. हालाँकि, अंतर्राष्ट्रीय मानक, जैसे कि कैदियों के साथ व्यवहार के लिए संयुक्त राष्ट्र मानक न्यूनतम नियम, जिन्हें आमतौर पर नेल्सन मंडेला नियम कहा जाता है, कैदियों के अधिकारों के एक हिस्से के रूप में वैवाहिक मुलाकात की इजाजत देने में एकरूपता की वकालत करते हैं.
जीनवसाथी से मिलना मौलिक आधिकार
अपनी याचिका में साहनी ने यह ऐलान करने की मांग की है कि वैवाहिक मुलाक़ात का अधिकार कैदियों और उनके जीवनसाथियों के लिए मौलिक है. उन्होंने दिल्ली सरकार और जेल महानिदेशक से जेल में बंद लोगों के लिए वैवाहिक मुलाक़ात के अधिकार को सक्षम करने के लिए जरूरी व्यवस्था करने की गुजारिश की है.